विद्युत और नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री श्री आर.के. सिंह ने आज गुजरात के नर्मदा जिले के टेंट सिटी में राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों के विद्युत तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन का उद्घाटन किया। दो दिन के इस सम्मेलन में राज्यों के ऊर्जा मंत्री तथा शीर्ष अधिकारी भाग ले रहे हैं। सौभाग्य योजना के अंतर्गत घरों के लगभग सार्वभौमिक विद्युतीकरण के लक्ष्य की प्राप्ति के बाद यह पहला सम्मेलन है। सौभाग्य योजना के अंतर्गत रिकॉर्ड 16-17 महीनों में 26.6 मिलियन घरों को विद्युतिकृत किया गया।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए केन्द्रीय विद्युत मंत्री ने सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि दी और कहा कि 500 से अधिक रजवाड़ों को भारत में विलय करने के लिए देश उनका ऋणी है। विद्युत क्षेत्र की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत सभी के लिए 27×7 विद्युत आपूर्ति करने वाले टिकाऊ और कारगर विद्युत क्षेत्र के बिना विकसित देश नहीं बन सकता।
श्री सिंह ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भारतीय विद्युत क्षेत्र निवेश आकर्षित करें। यह तभी होगा, जब कारोबारी सुगमता हो और संविदा का उल्लंघन न हो। उन्होंने विद्युत उत्पादकों को बिजली वितरण कंपनियों द्वारा समय से भुगतान करने की आवश्यकता पर बल दिया।
विद्युत मूल्यों को स्पर्धी और किफायती बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए विद्युत मंत्री ने कहा कि प्रणाली की खामियों का बोझ साधारण जन पर नहीं थोपा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता संपन्न सेवा उपभोक्ताओं का अधिकार है।
विद्युत नुकसान में कमी तथा बिलिंग और संग्रह क्षमता के लिए विद्युत मंत्री ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर गरीबों के हित में है, क्योंकि इसमें एक ही समय पूरे महीने के बिल का भुगतान करने के लिए उपभोक्ता को बाध्य नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि इससे बिल भुगतान सुगमता होती है और बिजली की चोरी की संभावना कम होती है। उन्होंने सभी राज्यों से प्राथमिकता के आधार पर सभी सरकारी विभागों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का आग्रह किया।
श्री आर.के. सिंह ने जलवायु परिवर्तन की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक चिंता का विषय है और भारत सभी संभव तरीके से जलवायु परिवर्तन की समस्या के समाधान के लिए संकल्पबद्ध है। कुसुम योजना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह योजना आने वाले वर्षों में इस योजना से सौर ऊर्जा से कृषि पम्प चलेंगे। इससे न केवल राज्यों का सब्सिडी बोझ कम होगा, बल्कि किसानों को भी लाभ होगा और किसान आवश्यकता से अधिक बिजली सरकार को बेचेंगे। इससे किसानों को भूजल के न्यायोचित उपयोग के लिए प्रोत्साहन मिलेगा और बिजली की बचत होगी, क्योंकि किसान आवश्यकता से अधिक बिजली सरकार को बेचकर मुद्रा अर्जित करेंगे।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए विद्युत सचिव श्री सुभाष गर्ग ने सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया और दो दिन के इस सम्मेलन में विचार किए जाने वाले विषयों पर प्रकाश डाला।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा सचिव श्री आनंद कुमार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन भारत के लिए संकल्प का विषय है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत दिसंबर, 2022 से पहले 175 गीगा वॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य हासिल कर लेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री के संयुक्त राष्ट्र संबोधन में 450 गीगा वॉट के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की घोषणा का भी उल्लेख किया।
दो दिन के इस सम्मेलन में सभी के लिए 24×7 विद्युत आपूर्ति, कारोबारी सुगमता, संविदा की पवित्रता, नियामक विषयों, पीएम-कुसुम, सृष्टि, डीडीयूजीजेवाई, आईपीडीएस योजनाओं के क्रियान्वयन, अल्ट्रामेगा नवीकरणीय ऊर्जा पार्कों की स्थापना, ट्रांसमिशन और ऊर्जा संरक्षण जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी।
सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर केन्द्रीय विद्युत मंत्री द्वारा राज्य की विद्युत वितरण कंपनियों की 7वीं वार्षिक एकीकृत रेटिंग जारी की गई। 22 राज्यों की 41 वितरण कंपनियों की रेटिंग की गई है, जिसमें से सात कंपनियों को ए + की रेटिंग प्राप्त हुई है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 22 वितरण कंपनियों का उन्नयन किया गया है।
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अपने वायु सैनिकों के बीच खुद को पाकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूप में, मैं इस अवसर को अपने देश के सशस्त्र बलों को समर्पित करता हूं।
आर्मी एविएशन कोर के अस्तित्व के 32 वर्ष हो चुके हैं। यह सम्पूर्ण अवधि उनकी वीरता, सम्मान और गौरव की गाथाओं से परिपूर्ण रही है। 1986 में अपनी स्थापना के तुरंत बाद, आर्मी एविएशन कोर ने श्रीलंका में ‘ऑपरेशन पवन’ के दौरान युद्ध में अपनी स्वच्छ साख कायम की।
1984 के बाद से कोर के लिए सियाचिन ग्लेशियर अंतिम कार्यस्थल रहा है। बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में 20000 फुट और उससे अधिक ऊंचाई पर काम कर रहे, कोर के अत्यधिक कुशल और उत्प्रेरित पायलटों ने ‘ऑपरेशन मेघदूत’ में कठोर और बहुमूल्य कार्य किया है।
इस संदर्भ में, मैं पिछले वर्ष 10 मई को सियाचिन यात्रा के दौरान कुमार पोस्ट की अपनी यात्रा का विशेष रूप से उल्लेख करूंगा। यह एक अनोखा अनुभव था। ग्लेशियर में प्रतिकूल परिस्थितियों में रहने वाले हमारे अधिकांश जवान अद्वितीय पराक्रम और दृढ़ संकल्प का प्रमाण हैं। मैंने अपनी यात्रा के दौरान महसूस किया कि हम इन बहादुर सैनिकों की सतर्कता और बलिदान के कारण शांति से रहते हैं।
आर्मी एविएशन कोर ने विशिष्ट शौर्य और विशिष्ट सेवा के लिए 273 सम्मान और पुरस्कार हासिल किए हैं। इससे कोर के जवानों की असाधारण बहादुरी और जोश का पता चलता है और यह हमारी सशस्त्र सेनाओं के सभी सैनिकों और अधिकारियों के लिए एक आदर्श है। आपने विभिन्न युद्धों और ऑपरेशनों में प्रतिष्ठा हासिल की है और खेलों, जान जोखिम में डालने जैसी और अनेक पेशेवर चुनौतियों के दौरान आगे बढ़कर कार्य किया है।
आपके साहस और निष्ठा ने 1999 में ‘ऑपरेशन विजय’ में ‘कारगिल’ युद्ध जीता। आपके बहुत से स्क्वाड्रन्स को उनके असाधारण कार्यों के लिए प्रतिष्ठित ‘चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ यूनिट प्रशस्ति पत्र’ प्रदान किया गया। संयुक्त राष्ट्र शांति सेना मिशन में रहते हुए सोमालिया और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य जैसे देशों में कार्य करते समय आपने अपने देश के उत्कृष्ट राजदूतों की भूमिका निभाई है। प्राकृतिक आपदाओं के दौरान आपने उत्तम कार्य किया है।
कलर प्रदान करने के लिए आयोजित इस समारोह में, मैं आर्मी एविएशन कोर के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहता हूं। उनके खून और बलिदान ने हमारी प्रभुसत्ता की रक्षा की है और देश को गौरवान्वित किया है। मैं कोर के पूर्व और सेवारत सैनिकों को उनकी कर्तव्य निष्ठा और पेशेवर आचरण के लिए बधाई देना चाहता हूं। आर्मी एविएशन कोर के सदस्य दुनिया में सबसे कठिन क्षेत्रों और खराब मौसम में सच्ची ताकत बनकर उभरे हैं। मैं आर्मी एविशन कोर की समूची बिरादरी के सभी रेंकों और परिवारों को शुभकामना देने के लिए इस अवसर का लाभ उठाना चाहता हूं। भारतीय सेना और देश को उन पर गर्व है।
हम अपने देश की सीमाओं के साथ-साथ उसकी प्रभुसत्ता की रक्षा करने के लिए सत्यनिष्ठा की शपथ लेते हैं। मुझे विश्वास है कि हम इस संकल्प को पूरा करेंगे और अपने देश की प्रतिष्ठा को बरकरार रखेंगे चाहे इसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े और श्रेष्ठता के अपने सभी प्रयासों को जारी रखेंगे।
ईश्वर से प्रार्थना है कि आप ऊंची उड़ान भरें और राष्ट्र को कीर्ति दिलाएं। मैं आपकी ‘सुखद वापसी’ और ‘अच्छी रफ्तार’ की कामना करता हूं।
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निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) वाराणसी में 11-14 अक्टूबर, 2019 को 38वें इंडिया कार्पेट एक्सपो (वाराणसी में 15वां) का आयोजन करने जा रही है। यह एक्सपो संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी ग्राउंड में सांस्कृतिक धरोहर और भारतीय हस्तनिर्मित कालीनों और फ्लोर कवरिंग की बुनाई के कौशलों को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ विदेशों से आने वाले कालीन के खरीददारों के लिए आयोजित किया जा रहा है। इंडिया कार्पेट एक्सपो कालीन के अंतरराष्ट्रीय खरीददारों, क्रेता घरानों, क्रेता एजेंटों, आर्किटेक्ट्स और भारतीय कालीन विनिर्माताओं तथा निर्यातकों के लिए मुलाकात करने और कारोबारी संबंध स्थापित करने का मंच है। यह एक्सपो साल में दो बार वाराणसी और दिल्ली में आयोजित किया जाता है।
इंडिया कार्पेट एक्सपो एशिया में लगने वाले विशालतम हस्तनिर्मित कालीन मेलों में से एक है। कालीन खरीदने वालों की आवश्यकता के अनुसार किसी भी तरह के डिजाइन, रंग, गुणवत्ता और आकार को अपनाने की विलक्षण भारतीय क्षमता ने उसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहद जाना-पहचाना नाम बना दिया है। यह उद्योग भारत के विभिन्न हिस्सों से ऊन, रेशम, मानव निर्मित फाइबर, जूट, कॉटेन और विभिन्न प्रकार के कपड़ों के विविध मिश्रणों का उपयोग करता है। कार्पेट उद्योग में निर्माण और निर्यात दोनों के लिए ही वृद्धि की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। यह उद्योग पर्यावरण के अनुकूल है और यह दुलर्भ और नष्ट हो जाने वाले ऊर्ज के संसाधनों का इस्तेमाल नहीं करता।
देशभर में कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के 2700 सदस्य हैं और वाराणसी की विशाल कालीन निर्माता पट्टी पर इंडिया कार्पेट एक्सपो के आयोजन का प्रमुख उद्देश्य विदेशों के सभी कालीन खरीददारों को कारोबार का अवसर चुनने का अनूठा अवसर प्रदान करना है। परिषद कालीन आयातकों साथ ही साथ विनिर्माताओं और निर्यातकों के लिए विशिष्ट कारोबारी वातावरण उपलब्ध कराने का प्रयास करती है। देशभर के लगभग 200 सदस्य इस एक्सपो में भाग ले रहे हैं।
भारत में प्रमुख कालीन निर्माण केंद्र उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, पूर्वोत्तर क्षेत्र, आंध्रप्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना ,छत्तीसगढ़ और झारखंड में हैं।
वस्त्र मंत्रालय में सचिव श्री रवि कपूर 11 अक्टूबर, 2019 को 38वें इंडिया कार्पेट एक्सपो का उद्घाटन करेंगे और विकास आयुक्त, हस्तशिल्प, शांतनु सम्मानित अतिथि होंगे।
450 से ज्यादा प्रतिष्ठित विदेशी कालीन खरीददारों के इस एक्सपो में भाग लेने की संभावना है।
मूल्य और मात्रा की दृष्टि से भारतीय हस्तनिर्मित कालीन उद्योग का अंतरराष्ट्रीय हस्तनिर्मित कालीन बाजार में सबसे पहला स्थान है। भारत अपने कुल कालीन उत्पादन में से 85-90 प्रतिश्त का निर्यात कर देता है।
हस्तनिर्मित कालीनों और फ्लोर कवरिंग्स का निर्यात
वर्ष
कुल निर्यात मिलियन डॉलर में
कुल निर्यात करोड़ रुपये में
2013-14
1579.09
9557.24
2014-15
1819.69
11120.30
2015-16
1726.78
11299.73
2016-17
1773.98
11895.16
2017-18
1711.17
11028.05
2018-19
1765.96
12364.68
भारत दुनिया के 70 से अधिक देशों को अपने हस्तनिर्मित कालीनों का निर्यात कर रहा है। इनमें अमरीका, जर्मनी, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, इटली और ब्राजील प्रमुख हैं। हाल ही में चीन को निर्यात भी शुरू किया गया है।
अमरीका के बाद जर्मनी और अन्य यूरोपीय देश भारतीय उत्पादों के निर्यात के लिए पारंपरिक बाजार रहे हैं। यूरोपीय बाजार पूरी तरह से विकसित हो चुके हैं और उनमें ज्यादा वृद्धि की संभावना नहीं बची है। परिषद ने संयुक्त अमरीका, लैटिन अमेरिकी देशों – ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना, चीन, स्कैंडिनेवियाई देशों – नॉर्वे, स्वीडन और दक्षिण अफ्रीका और ओशिआनिया देशों – ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की परिकल्पना ऐसे देशों के रूप में की है जिन पर बल दिया जा सकता है।
आयात को हतोत्साहित करने तथा घरेलू जरूरतों को पूरा करने की दृष्टि से कालीन और अन्य प्रकार की फ्लोर कवरिंग्स का निर्माण करने वाली इकाइयां लगाने के लिए निवेश की आपार संभावनाएं मौजूद हैं।
भारतीय हस्तनिर्मित कालीन उद्योग बड़े पैमाने पर श्रमिकों की आवश्यकता वाला उद्योग है और यह 20 लाख से ज्यादा कामगारों और कारीगरों विशेषकर महिलाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराता है। इस क्षेत्र में कार्यरत ज्यादातर कारीगर और बुनकर समाज के कमजोर वर्गों से संबंधित हैं और यह व्यापार उन्हें अपने घरों से ही अतिरिक्त और वैकल्पिक व्यवसाय करने का अवसर प्रदान करता है।
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में अमेरीका के न्यू जर्सी राज्य के गवर्नर श्री फिलिप डी. मर्फी की अगवानी की। गवर्नर के रूप में यह उनकी पहली भारत यात्रा है। गवर्नर मर्फी आगरा, मुम्बई, हैदराबाद और अहमदाबाद भी जायेंगे।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने न्यू जर्सी और भारत के बीच नजदीकी व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने तथा लोगों के बीच आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देने के संबंध में गवर्नर मर्फी की इच्छा का स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया कि भारत, न्यू जर्सी के भारतीय राज्यों के साथ रचनात्मक सहयोग को समर्थन देगा।
गवर्नर मर्फी ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को अवगत कराया कि न्यू जर्सी भारत के साथ संबंधों को प्राथमिकता देता है और भारत तथा अमेरीका के बीच मजबूत साझेदारी के लिए काम करने को प्रतिबद्ध है। भारत और न्यू जर्सी के बीच समानताओं का उल्लेख करते हुए गवर्नर मर्फी ने कहा कि भारत में मौजूद विविधता तथा अनेकता में एकता का न्यू जर्सी सम्मान करता है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि न्यू जर्सी राज्य में भारतीय मूल के अमेरीकियों की आबादी सबसे अधिक है और वह भारत के कारोबार और निवेश का सर्वोच्च गंतव्य है। दोनों गणमान्यों ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) तथा उच्च शिक्षा में सहयोग के महत्व पर सहमति व्यक्त की।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने न्यू जर्सी में भारतीय मूल के अमेरीकी समुदाय के कल्याण के लिए गवर्नर द्वारा दिखाई जाने वाली निजी रुचि की सराहना की और कहा कि यह भारत तथा अमेरीका के बीच सेतु के रूप में बहुत महत्वपूर्ण है।
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2
शब्द सीमा 250