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अमेरिका की प्रमुख कंपनियों के ग्लोबल सीईओ और सीनियर एक्जीक्यूटिव के साथ प्रधानमंत्री की बैठक .सौज्जन्न से PIB

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न्यूयॉर्क में 20 क्षेत्रों से संबंद्ध उद्योगों के वैश्विक प्रमुखों के साथ एक विशेष गोलमेज चर्चा की अध्यक्षता की। इस चर्चा में शामिल होने वाली कंपनियों की कुल सामूहिक संपत्ति 16.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है। इसमें से भारत में इनकी कुल संपत्ति 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।

इस आयोजन में आईबीएम की अध्यक्ष एवं सीईओ सुश्री गिन्नी रोमेटी, वालमॉर्ट के अध्यक्ष एवं सीईओ डगलस मैकमिलन, कोका कोला के चेयरमैन एवं सीईओ श्री जेम्स क्विनसी, लॉकहीड मॉर्टिन की सीईओ सुश्री मॉर्लिन ह्यूसन, जेपी मोर्गन के चेयरमैन एवं सीईओ श्री जेमी डिमोन, अमेरिकन टॉवर कार्पोरेशन के सीईओ एवं भारत-अमेरिका सीईओ मंच के उपाध्यक्ष श्री जेम्स डी. टेसलेट और एप्पल, गूगल, वीसा, मास्टरकार्ड, 3एम, वारबर्ग पिनकस, एईसीओएम, रेथियोन, बैंक ऑफ अमेरिका, पेप्सी जैसी कंपनियों के सीनियर एक्जीक्यूटिव भी शामिल हुए।

डीपीआईआईटी और इनवेस्ट इंडिया द्वारा आयोजित इस विचार-विमर्श में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

प्रतिभागियों ने कारोबारी सुगमता और कई अन्य सुधारों की दिशा में भारत द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की, इनके कारण निवेशकों के अनुकूल माहौल बना है। व्यापार जगत के दिग्गजों ने कारोबारी सुगमता पर ध्यान देने और भारत को ज्यादा निवेशक-अनुकूल बनाने की खातिर मजबूत निर्णय लेने के लिए प्रधानमंत्री की सराहना की। उद्योग जगत के प्रमुखों ने इस बात का भी उल्लेख किया कि उनकी कंपनियां भारत की विकास गाथा के लिए प्रतिबद्ध हैं, और इसके लिए भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ाती रहेंगी।

इन सीईओ ने भारत में अपनी विशिष्ट योजनाओं की संक्षिप्त जानकारी भी दी और कौशल विकास, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, समावेशी विकास, हरित ऊर्जा और वित्तीय समावेश की दिशा भारत के प्रयासों में मदद देने के लिए अपनी सिफारिशें भी सामने रखीं।

सीईओ की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री ने निरंतर राजनीतिक स्थिरता, नीतियों के पूर्वानुमान और विकास एवं उन्नति परक नीतियों पर जोर दिया। उन्होंने पर्यटन, प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और अपशिष्ट प्रबंधन और किसानों एवं कृषि के लिए अधिक अवसर पैदा करने वाले एमएसएमई व्यवसाय को बढ़ाने की पहल के विकास पर भी जोर दिया। उन्होंने कंपनियों से न केवल भारत, बल्कि दुनिया के लिए समाधान खोजने को अन्य देशों के साथ साझेदारी में स्टार्टअप इंडिया नवाचार प्लेटफार्मों का लाभ उठाने का आग्रह किया। इसमें पोषण और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे चुनौतीपूर्ण मुद्दे शामिल हैं।

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जलवायु कार्ययोजना शिखर सम्मेलन में उद्योग को कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने के लिए नए नेतृत्व समूह की घोषणा भारत और स्वीडन इस समूह का नेतृत्व करेंगे : केंद्रीय पर्यावरण मंत्री. सौज्जन से PIB

संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्ययोजना शिखर सम्मेलन में 23 सितंबर को एक नए पहल की शुरूआत की गई। इसका लक्ष्य विश्व के सबसे अधिक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाले उद्योगों को कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था की ओर ले जाना है।

अर्जेंटीना, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, लक्जेमबर्ग, नीरदलैंड, दक्षिण कोरिया तथा यू.के. के साथ भारत और स्वीडन एवं डालमिया सीमेंट, डीएसएम, हीथ्रो एयरपोर्ट, एलकेएबी, महिन्द्रा ग्रुप, रॉयल स्कीफॉल ग्रुप, स्केनिया, स्पाइसजेट, साब, थाइसनक्रूप और वेटेनफॉल आदि कंपनियां इस समूह में शामिल है। इस समूह ने एक नए नेतृत्व समूह की घोषणा की। यह नेतृत्व समूह, ऊर्जा केंद्रित क्षेत्र तथा ऐसे क्षेत्र जिसमें कार्बन की मात्रा को कम करना कठिन है को कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने का प्रयास करेगा।

इस वैश्विक पहल को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम, एनर्जी ट्रांजिशन कमीशन, मिशन इनोवेशन, स्टॉकहोम एनवायरनमेंट इंस्टीट्यूट और यूरोपीयन क्लाइमेंट फाउंडेशन जैसे कई संगठनों ने इस महत्वाकांक्षी, सार्वजनिक-निजी प्रयास को समर्थन दिया है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि परिस्थिति और क्षमता के अनुरूप हममें से प्रत्येक को जलवायु की जिम्मेदारी निभानी है। मैं आशा करता हूँ कि उद्योग को कम कार्बन उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने के क्रम में प्रौद्योगिकी का प्रसार होगा और इस यात्रा में विकासशील देशों को सहयोग प्राप्त होगा।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बीते दो दिनों में कई महत्वपूर्ण निर्णय हुए हैं। भारी उद्योगों ने यह तय किया है कि वह बिना किसी बाहरी मदद के कम कार्बन उत्सर्जन के लिए प्रयास करेंगे।

सार्वजनिक-निजी सहयोग का स्वागत करते हुए विश्व आर्थिक मंच के संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. क्‍लॉस श्‍वाब ने कहा सरकार के साथ सहयोग तथा उद्योगों में उत्सर्जन में कमी लाने के प्रति निजी क्षेत्र में अत्यधिक उत्साह है।

इस्पात, सीमेंट एल्युमीनियम, उड्डयन और पोत परिवहन जैसे क्षेत्रों में उत्सर्जन की मात्रा अधिक होती है। इन क्षेत्रों के द्वारा 2050 तक 15.7 जीटी गैस उत्सर्जन किया जाएगा। देशों और उद्योग समूहों के बीच अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग से लागू करने लायक नीतियों के निर्माण, प्रोत्साहन तथा कम कार्बन की अवसंरचना में संयुक्त निवेश सुनिश्चित हो सकेगा।

जलवायु कार्ययोजना शिखर सम्मेलन के बारे में

संयुक्त राष्ट्र महासचिव श्री एंटोनियो गुतरेस ने न्यूयॉर्क में जलवायु कार्ययोजना शिखर सम्मेलन का आयोजन किया है। महासचिव ने सभी राजनेताओं, सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों तथा निजी क्षेत्र, सिविल सोसायटी, स्थानीय प्राधिकरण आदि के प्रतिनिधियों का आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें ठोस और वास्तविक योजनाएं प्रस्तुत करनी चाहिए ताकि पेरिस समझौते को लागू करने के लिए कार्ययोजना में तेजी लाई जा सके।

पेरिस योजना को लागू करने के लिए अलावा जलवायु कार्ययोजना शिखर सम्मेलन 09 स्वतंत्र कार्यों पर विशेष ध्यान देता है जिसका नेतृत्व 19 देश कर रहे हैं। इसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन समर्थन प्रदान कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि भारत और स्वीडन ने “इंडस्ट्री ट्रांजिशन” बैठक का नेतृत्व किया था। इसे विश्व आर्थिक मंच ने समर्थन प्रदान किया था।

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राष्ट्रपति ने छठे भारत जल सप्ताह – 2019 का उद्घाटन किया. सौज्जन से PIB

राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने आज (24 सितम्बर, 2019) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में छठे भारत जल सप्ताह का उद्घाटन किया। भारत जल सप्ताह 2019 का विषय ‘जल सहयोग – 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटना’ है और इसका आयोजन जलशक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग की ओर से किया गया है।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि यदि हमें जल से संबंधित चुनौतियों से कारगर ढंग से निपटना है तो विभिन्न हितधारकों के बीच में सहयोग महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जल से जुड़े मसले इतने बहुआयामी और जटिल हैं कि किसी एक सरकार या मात्र एक देश द्वारा इन्हें सुलझाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि भविष्य में सभी के लिए जल को चिर-स्थायी बनाने में मदद करने के लिए समस्त देशों और उनके जल समुदायों को एकजुट होना होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि हम लोग अक्सर ‘कार्बन फुटप्रिंट’ में कमी लाने की बात करते हैं। अब समय आ गया है कि हम अपने ‘वॉटर फुटप्रिंट’ में कमी लाने की भी बात करें। हमारे किसानों, प्रमुख उद्योगपतियों और सरकारी निकायों को विभिन्न फसलों और उद्योगों के ‘वॉटर फुटप्रिंट’ के बारे में सक्रिय रूप से विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसी कृषि और औद्योगिक पद्धतियों को बढ़ावा देने की जरूरत है, जिनमें पानी का उपयोग कम हो।

राष्ट्रपति ने कहा कि भूमि जल संसाधनों का प्रबंधन और मानचित्रण जल गवर्नेंस का एक महत्वपूर्ण पहलू है। उन्होंने कहा कि बोरिंग मशीनों के व्यापक उपयोग के कारण भूमिगत जल का अनियंत्रित और अतिशय दोहन हुआ है। उन्होंने कहा कि हमें अपने भूमिगत जल की अहमियत समझनी होगी और जिम्मेदार बनना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारा बहुमूल्य वर्षा जल बर्बाद न होने पाए। हमें अपने मौजूदा जलाशयों, बांधों और अन्य जल स्रोतों का उपयोग करते हुए तथा अपने घरों और आस-पड़ोस में जल संभरण उपाय अपना कर वर्षा जल को संचित करने और उसका भंडारण करने की जरूरत है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जल से संबंधित अपने विभिन्न मामलों का समाधान तलाशने का प्रयास करते समय हमें जल संरक्षण की अपनी प्राचीन पद्धतियों को नहीं भूलना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि परम्‍परागत ज्ञान के आधुनिक प्रौद्योगिकी और तकनीकों के साथ मिश्रण से हमें जल की दृष्टि से सुरक्षित देश बनने में मदद मिल सकती है। उन्‍होंने समस्‍त राज्‍यों, सार्वजनिक एवं निजी संगठनों और जनता के बीच सुदृढ़ सहयोग के साथ समस्‍त हितधारकों से जल से संबंधित लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने का संकल्‍प लेने का आह्वान किया। उन्‍होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों से स्‍वच्‍छ भारत अभियान में समाज के सभी वर्गों साथ ही संगठनों की भागीदारी देखने को मिल रही है, जिन्‍होंने इसकी जिम्‍मेदारी उठायी और इसे अपना निजी मिशन बना लिया। उन्‍होंने कहा कि जल शक्ति अभियान के प्रति हमें इसी तरह का समर्पण और प्रतिबद्धता दर्शाने की जरूरत है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि ‘स्‍वच्‍छ गंगा के लिए राष्‍ट्रीय मिशन’ के लिए अनेक परियोजनाओं की आवश्‍यकता है, जो गंगा का निरंतर और प्रदूषण मुक्‍त प्रवाह सुनिश्चित कर सकें। उन्होंने बल देकर कहा कि गंगा और अन्‍य नदियों को स्‍वच्‍छ बनाना अकेले सरकार का मिशन नहीं हो सकता, ये हमारा सामूहिक प्रयास और हमारा सामूहिक वादा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नागिरक होने के नाते हमें इस उद्देश्य के लिए हर हाल में योगदान देना चाहिए। उदाहरण के लिए, हमने हाल ही में गणेश चतुर्थी मनाई है और कुछ दिन बाद नवरात्र हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि नदियों में विसर्जित की जाने वाली देवी-देवताओं की प्रतिमाएं पर्यावरण के अनुकूल सामग्री से निर्मित हों। इससे नदियों को स्वच्छ रखने और सामुद्रिक जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित रखने में मदद मिलेगी।

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15वें वित्त आयोग के अध्‍यक्ष एवं सदस्‍यों ने सिक्किम सरकार के साथ बैठक की.सौजन्न से PIB

15वें वित्त आयोग के अध्‍यक्ष श्री एन. के. सिंह और इसके सदस्‍यों तथा वरिष्‍ठ अधिकारियों ने आज सिक्किम के मुख्‍यमंत्री श्री प्रेम सिंह तमांग और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों तथा राज्‍य सरकार के वरिष्‍ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।

वित्त आयोग ने यह पाया:

राज्‍य में पर्यटन, जैविक खेती और बागवानी की काफी अच्‍छी संभावनाएं हैं। राज्‍य सरकार और ज्‍यादा शीत भंडारण (कोल्‍ड स्‍टोरेज) सुविधाओं एवं मूल्‍य श्रृंखलाओं (वैल्‍यू चेन) की स्‍थापना कर सकती है तथा खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योगों को विकसित कर सकती है।
सिक्किम भारत का पहला ऐसा राज्‍य था जिसे खुले में शौच मुक्‍त (ओडीएफ) घोषित किया गया।
सर्वाधिक प्रति व्‍यक्ति आय के मामले में सिक्किम ही दूसरे नंबर पर है और इसके साथ ही यहां अपेक्षाकृत कम बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) आबादी है।
वर्ष 2017-18 में भारत के 1,14,958 रुपये के औसत की तुलना में सिक्किम की प्रति व्‍यक्ति आय 2,97,765 रुपये (गोवा के बाद दूसरा सर्वाधिक आंकड़ा) रही। अत: देश की प्रति व्‍यक्ति आय की तुलना में सिक्किम की प्रति व्‍यक्ति आय दोगुनी से भी अधिक है।
सिक्किम की बीपीएल आबादी केवल 8.19 प्रतिशत ही है, जबकि इस मामले में देश का औसत 21.9 प्रतिशत (तेंदुलकर पद्धति, 2011-12) है। वर्ष 2004-05 से लेकर वर्ष 2011-12 तक की अवधि के दौरान सिक्किम की बीपीएल आबादी में 23 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय कमी दर्ज की गई है।

जीएसडीपी में द्वितीयक क्षेत्र की ज्‍यादा हिस्‍सेदारी : पनबिजली यूनिटों में बिजली उत्‍पादन और फार्मास्‍यूटिकल उद्योगों के उत्‍पादन ने द्वितीयक क्षेत्र की सापेक्ष हिस्‍सेदारी बढ़ा दी, जो जीएसडीपी (सकल राज्‍य घरेलू उत्‍पाद) में लगभग 59 प्रतिशत का योगदान करता है। सिक्किम में पनबिजली क्षेत्र की व्यापक संभावनाएं हैं। राज्‍य को मौजूदा पनबिजली परियोजनाओं के कार्यान्‍वयन में तेजी लानी चाहिए, ताकि इसकी क्षमता का भरपूर उपयोग किया जा सके और इसके साथ ही राजस्‍व आय में वृद्धि संभव हो सके।

मजबूत ऋण एवं घाटा संकेतक:

राज्‍य का राजकोषीय घाटा वर्ष 2018-19 (संशोधित अनुमान) को छोड़ हाल के वर्षों में 3 प्रतिशत के स्‍तर से नीचे निरंतर टिका रहा है। राज्‍य में राजस्‍व की स्थिति ज्‍यादातर समय अधिशेष (सरप्‍लस) के रूप में रही है। ऋण-जीएसडीपी अनुपात भी वर्ष 2016-17 में 23.2 प्रतिशत के सामान्‍य स्‍तर पर बरकरार रहा है जो सभी पूर्वोत्तर राज्‍यों तथा पहाड़ी राज्यों में दर्ज 28.6 प्रतिशत के औसत अनुपात से कम है। हालांकि, हाल के वर्षों में इसमें मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। यही नहीं, सिक्किम के महालेखाकार ने राज्‍य सरकार की 3628 करोड़ रुपये की उल्‍लेखनीय उधारियों (बजट से इतर) के बारे में जान‍कारी दी है।
वर्ष 2010-11 में लागू किए गए राज्‍य एफआरबीएम अधिनियम में निर्दि‍ष्‍ट घाटा एवं ऋण संबंधी लक्ष्‍यों के साथ नियम आधारित राजकोषीय प्रबंधन का उल्‍लेख किया गया। राज्‍य सरकार 15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित राजस्‍व अधिशेष और ऋण स्‍टॉक से संबंधित शर्त को पूरा करते हुए वर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटे में 0.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने के लचीलेपन का समुचित उपयोग करने में सफल रही।

श्रम ब्‍यूरो के पांचवें रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, सिक्किम में 18.1 प्रतिशत की दूसरी सर्वाधिक बेरोजगारी दर (त्रिपुरा के बाद) है। प्रति व्‍यक्ति ज्‍यादा आय और जीएसडीपी में द्वितीयक क्षेत्र की अच्‍छी हिस्सेदारी दरअसल ऊंची बेरोजगारी दर का विरोधाभासी है, जो रोजगार विहीन विकास को दर्शाती है।

प्रति व्‍यक्ति आय के मामले में सिक्किम के देश भर में दूसरे स्‍थान पर रहने के बावजूद स्‍वयं के कर राजस्‍व के मामले में सिक्किम सभी राज्‍यों में तीसरे न्‍यूनतम पायदान पर है। स्‍वयं का कर राजस्‍व मामूली होने की वजह से सिक्किम केन्‍द्र सरकार की ओर से हस्‍तांतरित किए जाने वाले संसाधनों पर काफी हद तक निर्भर रहता है। सिक्किम को अपनी कुल राजस्‍व प्राप्तियों का 75 प्रतिशत केन्‍द्र सरकार से प्राप्‍त होता है।

स्‍वयं का गैर-कर राजस्‍व (एनटीआर) अब भी सिक्किम के लिए राजस्‍व का एक महत्‍वपूर्ण स्रोत है। स्‍वयं की राजस्‍व प्राप्तियों में इसका योगदान लगभग 40-50 प्रतिशत है। हालांकि, लॉटरी से प्रा‍प्‍त होने वाले राजस्‍व के घट जाने के कारण पिछले कुछ वर्षों के दौरान एनटीआर में उल्‍लेखनीय कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2011 से वर्ष 2018 के बीच इसकी वृद्धि दर (-) 10.9 प्रतिशत आंकी गई है। राज्‍य में पनबिजली और पर्यटन क्षेत्र के जरिए अपनी कमाई बढ़ाने की व्‍यापक संभावनाएं हैं जिनसे भरपूर लाभ उठाया जाना चाहिए।

वित्त आयोग ने यह पाया :

राज्‍य में 15 पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम) हैं जिनमें से 7 कार्यरत नहीं हैं। 31 अगस्‍त, 2019 तक 4 कार्यरत एसपीएसयू (राज्‍य सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम) के 11 खातों और 1 गैर-कार्यरत एसपीएसयू के एक खाते में बकाया दर्ज था। 9 एसपीएसयू का संचित घाटा वर्ष 2012-13 के 53.82 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2017-18 में 1,013.27 करोड़ रुपये के स्‍तर पर पहुंच गया। (एजी, सिक्किम)

सिक्किम में विद्युत आपूर्ति की जिम्‍मेदारी मुख्‍यत: ऊर्जा एवं विद्युत विभाग को सौंपी गई है। राज्‍य सरकार का विद्युत विभाग बिजली उत्‍पादन के साथ-साथ इसका पारेषण, वितरण एवं ट्रेडिंग भी करता है। राज्‍य सरकार ग्रामीण उपभोक्‍ताओं को बिजली पर भारी-भरकम सब्सिडी देती है। यही नहीं, 31 मार्च 2017 तक 15 प्रतिशत उपभोक्‍ताओं के यहां मीटर नहीं लगे हुए थे। सकल तकनीकी एवं वाणिज्यिक नुकसान लगभग 33 प्रतिशत आंका गया है और एसीएस-एआरआर अंतर 6.93 प्रतिशत दर्ज किया गया है जो अत्‍यंत अधिक है (विद्युत मंत्रालय)। राज्‍य सरकार को विद्युत विभाग के निगमीकरण एवं विभाजन के लिए आवश्‍यक कदम उठाने चाहिए और ठोस आर्थिक सिद्धांतों पर संचालन करने की अनुमति इसे दी जानी चाहिए।

सिक्किम पूरी तरह से पहाड़ी एवं भौगोलिक रूप से नवोदित स्‍थल है, इसलिए इसकी संरचना बेहद नाजुक है। यह भूकंपीय क्षेत्र IV में भी आता है, अत: यहां भूकंप आने का खतरा बना रहता है। मई से शुरू होकर अक्‍टूबर के मध्‍य तक जारी रहने वाले मानसून के दौरान यहां आकस्मिक बाढ़ और भूस्खलन की आशंका रहती है। जलवायु परिवर्तन सिक्किम के हिमालयी क्षेत्र में संभावित खतरनाक हिमनदी झीलों से खतरा पैदा कर रहा है।

सिक्किम में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के निर्माण एवं रख-रखाव की लागत काफी ज्‍यादा है। इसके अलावा, भारी वर्षा होने के कारण यहां कामकाज का सीजन भी अपेक्षाकृत छोटा रहता है।

राज्‍य में जनसंख्‍या घनत्‍व अत्‍यंत कम रहने के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में आबादी काफी दूर-दूर तक फैली हुई है जिस वजह से विभिन्‍न सेवाएं मुहैया कराने में काफी परेशानी होती है।

राज्य सरकार की प्रस्तुतियों से ये बातें उभर कर सामने आई हैं-

15वें वित्त आयोग ने 24.32% की प्रवृत्ति (ट्रेंड) वृद्धि दर के आधार पर राज्य के जीएसडीपी का अनुमान लगाया है जो वास्‍तविक की तुलना में बहुत ज्‍यादा थीं। इस वजह से अनुबंध अवधि के लिए ओटीआर की उच्‍च गणना की गई। इस वजह से सिक्किम 15वें वित्त आयोग से राजस्‍व घाटा अनुदान पाने का पात्र नहीं बन पाया।
सिक्किम जैविक खेती को बढ़ावा देता है और वहां रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। अत: यह उस व्‍यापक उर्वरक सब्सिडी मद में कुछ भी सब्सिडी प्राप्‍त करने का हकदार अब नहीं रह गया है जो अन्‍य राज्‍यों के किसानों को उपलब्‍ध है। जैविक खेती की उत्‍पादन लागत आम तौर पर ज्‍यादा होती है और किसानों की पैदावार तथा आमदनी में वृद्धि को बनाये रखने में समय लगता है।
राज्‍य ने सुझाव दिया है कि सिक्किम के किसानों की पर्यावरण अनुकूल पहलों को देखते हुए उन्‍हें मुआवजा दिया जा सकता है। राजस्‍व का त्‍याग किए जाने के कारण इसके तहत राज्‍य को उर्वरक सब्सिडी का पात्र माना जा सकता है।
सिक्किम सरकार ने सिफारिश की है कि करों के समग्र विभाज्‍य पूल में राज्‍यों की हिस्‍सेदारी बढ़ाकर 50 प्रतिशत की जानी चाहिए।
धन का अंतरण स्‍थानीय निकायों के सभी स्‍तरों के लिए किया जाना चाहिए।

आरएलबी के लिए धनराशि संबंधी आवश्‍यकता-
आरएलबी के दोनों स्‍तरों के लिए अनुमानित आवश्‍यकता पांच वर्षों के लिए 1,356.8211 करोड़ रुपये है।
मानव संसाधनों के साथ-साथ पंचायत घर के निर्माण के लिए 1100 करोड़ रुपये के अतिरिक्‍त एकबारगी अनुदान का अनुरोध किया गया।

यूएलबी के लिए धनराशि संबंधी आवश्‍यकता –
पांच वर्षों के लिए 134.1163 करोड़ रुपये की अनुमानित आवश्‍यकता।
बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, यूएलबी कार्यालय, टाउन हॉल और प्रशिक्षण संस्‍थानों के लिए 660 करोड़ रुपये के अतिरिक्‍त एकबारगी अनुदान का अनुरोध किया गया।

राज्‍य ने आपदा प्रबंधन के लिए भी अलग से अनुदान देने को कहा है

इसके अलावा, राज्‍य ने ‘पीस बोनस’ और सिक्किम के वन द्वारा अलग किए जाने वाले कार्बन की मात्रा के बराबर मूल्‍य देने का आह्वान किया है। राज्‍य ने पूंजीगत परि‍संपत्तियों के सृजन हेतु बड़ी परियोजनाओं के लिए राज्‍य विशिष्‍ट मांग भी की है। सिक्किम में संसाधनों में अंतर को पाटने के लिए 26843 करोड़ रुपये के राज्‍य विशिष्‍ट अनुदान की मांग की है।

कुल मिलाकर राज्‍य ने 15वें वित्त आयोग के समक्ष 71623.97 करोड़ रुपये की मांग रखी है।

उपर्युक्‍त बैठक के दौरान अध्‍यक्ष और सदस्‍यों द्वारा पूछे गए राज्‍य से जुड़े सभी विशिष्‍ट प्रश्‍नों पर विस्‍तार से विचार-विमर्श किया गया। सिक्किम को आश्‍वासन दिया गया कि वित्त आयोग द्वारा केन्‍द्र सरकार के समक्ष पेश की जाने वाली अपनी सिफारिशों में राज्‍य के सभी मुद्दों पर आयोग द्वारा समुचित ध्‍यान दिया जाएगा।

आयोग ने अपने दौरे के पहले दिन राज्‍य के सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ विस्‍तृत बैठक की। भारतीय जनता पार्टी, सिक्किम प्रदेश कांग्रेस समिति, सिक्किम लोकतांत्रिक मोर्चा और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा भी इन राजनीतिक दलों में शामिल थे। इन दलों द्वारा उठाये गए सभी मुद्दों को आयोग ने नोट किया, ताकि अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देते वक्‍त इन मुद्दों को सुलझाया जा सके।

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पितृसत्ता, पुरुष द्वारा नियंत्रित समाज का निर्माण करती है | उसी प्रकार नारीवाद, महिला द्वारा नियंत्रित समाज का निर्माण कर क्या पुन: असंतुलन स्थापित नही कर देगा? विचार प्रस्तुत करे |
सहिष्णुता का मूल्य भारतीय समाज में सदियों से समाहित रहा है और यह हमारी संस्कृति की एक मुख्य विशेषता भी रही है | क्या वर्तमान में इस ‘मूल्य’ का क्षरण हुआ है ? भारतीय समाज में सहिष्णुता की उपस्थिति के कारणों का उल्लेख करते हुए इसके कथित ‘क्षरण’ के संबंध में अपना मत प्रकट करे |
केंद्र और राज्यों को सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए: उपराष्ट्रपति चिकित्सा संस्थानों को आस-पास के महाविद्यालयों में जाना चाहिए और बीमारी की रोकथाम और स्वस्थ जीवन शैली को अपनाने के बारे में जागरूकता पैदा करनी चाहिए केआईएमएस अस्पताल में आयोजित नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर का उद्घाटन किया

भारत के उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि केंद्र और राज्यों को गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

आज हैदराबाद में स्वर्ण भारत ट्रस्ट में केआईएमएस हॉस्पिटल्स द्वारा आयोजित एक नि:शुल्क चिकित्सा शिविर का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि चिकित्सा महाविद्यालयों और चिकित्सा संस्थानों को मेडिकल पेशेवरों द्वारा पास के कॉलेजों में जाना और बीमारी की रोकथाम और स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिये जागरूकता अभियानों को चलाना सुनिश्चित करना चाहिए।

यह देखते हुए कि लोग अपने स्वास्थ्य और बुनियादी सावधानी बरतने की उपेक्षा करते हैं, उन्होंने कहा कि कई बार वे बीमारियों के इलाज के लिए स्वास्थ्य पर बहुत अधिक खर्च करते हैं। उन्होंने कहा कि बीमारी की रोकथाम के बारे में जागरूकता बेहद जरूरी है क्योंकि रोकथाम इलाज से बेहतर है।

यह इंगित करते हुए कि निष्क्रिय जीवन शैली और अस्वास्थ्यकर आहार संबंधी आदतें गैर-संचारी रोगों में वृद्धि करने में आगे हैं, उन्होंने कहा कि नियमित शारीरिक गतिविधि हर किसी के लिए दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बन जाना चाहिए, भले ही वह किसी भी उम्र का क्यों न हो।

इस अवसर पर तेलंगाना के राज्यपाल डॉ. तमिलिसाई सुन्दरराजन, आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री डा. कमिनेनी श्रीनिवास और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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पीएम ह्यूस्टन में भारतीय समुदाय के कार्यक्रम ‘हाउडी मोदी’ को संबोधित करते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड जे ट्रम्प भी इस आयोजन में शामिल हुए

आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने टेक्सास के ह्यूस्टन में एनआरजी स्टेडियम में आयोजित ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में पचास हजार से अधिक लोगों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री के साथ इश कार्यक्रम में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड जे ट्रम्प भी शामिल हुए।

इस विशाल सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि ह्यूस्टन में एक नया इतिहास और एक नया समन्वय बनता जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “डोनाल्ड ट्रम्प और भारत की प्रगति के बारे में बात करने वाले सीनेटरों की उपस्थिति 1.3 बिलियन भारतीयों की उपलब्धि का सम्मान है।” उन्होंने कहा कि स्टेडियम में उपस्थित जन-समूह की ऊर्जा भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच बढ़ते तालमेल को दर्शा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “इस कार्यक्रम का नाम ‘हाउडी मोदी’ है, लेकिन मोदी अकेले कुछ नहीं हैं। मैं भारत में 130 करोड़ लोगों की इच्छाओं के लिए काम करने वाला व्यक्ति हूं। इसलिए जब आप पूछते हैं – हाउडी मोदी, मैं कहूंगा कि भारत में सब ठीक है।” कई भारतीय भाषाओं में “सब कुछ ठीक है” कहते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि विविधता में एकता हमारे जीवंत लोकतंत्र की ताकत है।

पीएम ने कहा, “आज, भारत दृढ़ संकल्पित है और एक नया भारत बनाने के लिए कड़ी मेहनत भी कर रहा है।” उन्होंने कहा कि एक नए और बेहतर भारत के निर्माण के लिए कठिन प्रयास किए जा रहे हैं। पीएम ने कहा, ‘भारत चुनौतियों का सामना नहीं कर रहा है, बल्कि हम उन्हें आगे ले जा रहे हैं।भारत सिर्फ आगे बढ़ने के परिवर्तनों के लिए ही नहीं काम कर रहा है, हम उसके स्थायी समाधान और असंभव को संभव बनाने पर काम कर रहे हैं।”

पिछले पांच वर्षों में एनडीए सरकार की उपलब्धियों पर बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “पिछले पांच वर्षों में, 130 करोड़ भारतीयों ने ऐसी चीजें हासिल की हैं जिनकी कल्पना कोई भी नहीं कर सकता था। हम लक्ष्य उच्च हैं, और हम उस उच्च लक्ष्य को हासिल भी कर रहे हैं।” उन्होंने अपनी सरकार द्वारा घरेलू गैस कनेक्शन प्रदान करने, ग्रामीण स्वच्छता में सुधार लाने, ग्रामीण सड़क हेतु बुनियादी ढांचे का निर्माण करने, बैंक खाते खोलने इल्यादि के बारे में की गई परिवर्तनकारी कार्रवाई का भी उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने ‘ईज ऑफ लिविंग’और ‘ईज ऑफ बिजनेस’ के प्रति अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को भी दोहराया। उन्होंने ‘ईज ऑफ लिविंग’ सुनिश्चित करने के लिए अपनी सरकार द्वारा किए गए विभिन्न पहलों जैसे अप्रचलित कानूनों को हटाना, सेवाओं मे तेजी, सस्ते डेटा दर, भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई, जीएसटी आदि को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का विकास प्रत्येक भारतीय तक पहुंचेगा।

धारा 370 को निरस्त करने के बारे में बोलते हुए, पीएम ने उपस्थित लोगों से अपील करते हुए कहा कि इस तरह की निर्णायक कड़ी कार्रवाई करने के लिए सांसदों को खड़े होकर धन्यवाद ज्ञापन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि धारा 370 ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को विकास और प्रगति से दूर रखा था। पीएम ने कहा, “अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के पास हर भारतीय के समान अधिकार हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कड़ी निर्णायक लड़ाई और जो आतंकवाद को समर्थन करते आए हैं उनके खिलाफ भी कठोर कारवाई करने का समय आ गया है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में राष्ट्रपति ट्रम्प के संकल्प की प्रशंसा की।

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति ट्रम्प और उनके परिवार को भारत आने का निमंत्रण भी दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारी दोस्ती भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के भविष्य को नई ऊंचाइयां प्रदान करेगी।”

हॉवर्ड मोदी कार्यक्रम में डोनाल्ड जे ट्रम्प का स्वागत करना मेरे लिए सम्मान और गौरव की बात है, प्रधानमंत्री ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने हर जगह एक गहरा और स्थायी प्रभाव छोड़ा है। उनमें संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति का नेतृत्व करने का अपार गुण है। उन्होंने कहा कि जितनी बार मैं इनसे मिला मिला, डोनाल्ड जे ट्रम्प में वही मित्रता, गर्मजोशी और ऊर्जा महसूस की।

इस आयोजन को संबोधित करते हुए, डोनाल्ड जे ट्रम्प ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत और उसके नागरिकों के लिए एक असाधारण काम कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को उनकी अभूतपूर्व चुनावी जीत के लिए भी बधाई दी। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंध पहले से बेहतर हुए हैं।

प्रधानमंत्री की विकास की नीतियों को सलाम करते हुए, ट्रम्प ने कहा “भारत ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगभग तीन सौ मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। यह अविश्वसनीय है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, दुनिया भारत के एक मजबूत, संपन्न गणराज्य बन रहा है। राष्ट्रपति ने भारतीय समुदाय के योगदान के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि उनका प्रशासन आपके समुदाय की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध है।

ह्यूस्टन में प्रधान मंत्री का स्वागत करते हुए, हाउस के प्रमुख नेता स्टेनि होनर ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका आधुनिक भारत से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्र का नेतृत्व कर रहे हैं, भारत ने निर्विवाद रूप से अंतरिक्ष में एक नया मुकाम हासिल किया है और साथ ही लाखों लोगों को गरीबी से ऊपर उठाने में भी समान रूप से काम किया है।

इससे पहले, ह्यूस्टन के मेयर सिल्वेस्टर टर्नर ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को सम्मान, एकजुटता और लंबे समय से चले आ रहे भारत-ह्यूस्टन संबंध के के लिए ‘ह्यूस्टन-की’ भी भेंट किया।

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