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वाराणसी में 38वां इंडिया कार्पेट एक्सपो 11 अक्‍टूबर से . सौज्जन से PIB

निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) वाराणसी में 11-14 अक्‍टूबर, 2019 को 38वें इंडिया कार्पेट एक्सपो (वाराणसी में 15वां) का आयोजन करने जा रही है। यह एक्‍सपो संपूर्णानंद संस्‍कृत यूनिवर्सिटी ग्राउंड में सांस्‍कृतिक धरोहर और भारतीय हस्‍तनिर्मित कालीनों और फ्लोर कवरिंग की बुनाई के कौशलों को बढ़ावा देने के लक्ष्‍य के साथ विदेशों से आने वाले कालीन के खरीददारों के लिए आयोजित किया जा रहा है। इंडिया कार्पेट एक्‍सपो कालीन के अंतरराष्‍ट्रीय खरीददारों, क्रेता घरानों, क्रेता एजेंटों, आर्किटेक्‍ट्स और भारतीय कालीन विनिर्माताओं तथा निर्यातकों के लिए मुलाकात करने और कारोबारी संबंध स्‍थापित करने का मंच है। यह एक्‍सपो साल में दो बार वाराणसी और दिल्‍ली में आयोजित किया जाता है।

इंडिया कार्पेट एक्‍सपो एशिया में लगने वाले विशालतम हस्‍तनिर्मित कालीन मेलों में से एक है। कालीन खरीदने वालों की आवश्‍यकता के अनुसार किसी भी तरह के डिजाइन, रंग, गुणवत्‍ता और आकार को अपनाने की विलक्षण भारतीय क्षमता ने उसे अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में बेहद जाना-पहचाना नाम बना दिया है। यह उद्योग भारत के विभिन्‍न हिस्‍सों से ऊन, रेशम, मानव निर्मित फाइबर, जूट, कॉटेन और विभिन्‍न प्रकार के कपड़ों के विविध मिश्रणों का उपयोग करता है। कार्पेट उद्योग में निर्माण और निर्यात दोनों के लिए ही वृद्धि की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। यह उद्योग पर्यावरण के अनुकूल है और यह दुलर्भ और नष्‍ट हो जाने वाले ऊर्ज के संसाधनों का इस्‍तेमाल नहीं करता।

देशभर में कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के 2700 सदस्‍य हैं और वाराणसी की विशाल कालीन निर्माता पट्टी पर इंडिया कार्पेट एक्‍सपो के आयोजन का प्रमुख उद्देश्‍य विदेशों के सभी कालीन खरीददारों को कारोबार का अवसर चुनने का अनूठा अवसर प्रदान करना है। परिषद कालीन आयातकों साथ ही साथ विनिर्माताओं और निर्यातकों के लिए विशिष्‍ट कारोबारी वातावरण उपलब्‍ध कराने का प्रयास करती है। देशभर के लगभग 200 सदस्‍य इस एक्‍सपो में भाग ले रहे हैं।

भारत में प्रमुख कालीन निर्माण केंद्र उत्‍तर प्रदेश, जम्‍मू-कश्‍मीर, राजस्‍थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, पूर्वोत्‍तर क्षेत्र, आंध्रप्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना ,छत्‍तीसगढ़ और झारखंड में हैं।

वस्‍त्र मंत्रालय में सचिव श्री रवि कपूर 11 अक्‍टूबर, 2019 को 38वें इंडिया कार्पेट एक्‍सपो का उद्घाटन करेंगे और विकास आयुक्‍त, हस्‍तशिल्‍प, शांतनु सम्‍मानित अतिथि होंगे।

450 से ज्‍यादा प्रतिष्ठित विदेशी कालीन खरीददारों के इस एक्‍सपो में भाग लेने की संभावना है।

मूल्‍य और मात्रा की दृष्टि से भारतीय हस्‍तनिर्मित कालीन उद्योग का अंतरराष्‍ट्रीय हस्‍तनिर्मित कालीन बाजार में सबसे पहला स्‍थान है। भारत अपने कुल कालीन उत्‍पादन में से 85-90 प्रतिश्‍त का निर्यात कर देता है।

हस्‍तनिर्मित कालीनों और फ्लोर कवरिंग्‍स का निर्यात

वर्ष

कुल निर्यात मिलियन डॉलर में

कुल निर्यात करोड़ रुपये में

2013-14

1579.09

9557.24

2014-15

1819.69

11120.30

2015-16

1726.78

11299.73

2016-17

1773.98

11895.16

2017-18

1711.17

11028.05

2018-19

1765.96

12364.68

भारत दुनिया के 70 से अधिक देशों को अपने हस्तनिर्मित कालीनों का निर्यात कर रहा है। इनमें अमरीका, जर्मनी, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, इटली और ब्राजील प्रमुख हैं। हाल ही में चीन को निर्यात भी शुरू किया गया है।

अमरीका के बाद जर्मनी और अन्य यूरोपीय देश भारतीय उत्पादों के निर्यात के लिए पारंपरिक बाजार रहे हैं। यूरोपीय बाजार पूरी तरह से विकसित हो चुके हैं और उनमें ज्‍यादा वृद्धि की संभावना नहीं बची है। परिषद ने संयुक्त अमरीका, लैटिन अमेरिकी देशों – ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना, चीन, स्कैंडिनेवियाई देशों – नॉर्वे, स्वीडन और दक्षिण अफ्रीका और ओशिआनिया देशों – ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की परिकल्‍पना ऐसे देशों के रूप में की है जिन पर बल दिया जा सकता है।

आयात को हतोत्‍साहित करने तथा घरेलू जरूरतों को पूरा करने की दृष्टि से कालीन और अन्‍य प्रकार की फ्लोर कवरिंग्‍स का निर्माण करने वाली इकाइयां लगाने के लिए निवेश की आपार संभावनाएं मौजूद हैं।

भारतीय हस्‍तनिर्मित कालीन उद्योग बड़े पैमाने पर श्रमिकों की आवश्‍यकता वाला उद्योग है और यह 20 लाख से ज्‍यादा कामगारों और कारीगरों विशेषकर महिलाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्‍यक्ष या परोक्ष रूप से रोजगार उपलब्‍ध कराता है। इस क्षेत्र में कार्यरत ज्‍यादातर कारीगर और बुनकर समाज के कमजोर वर्गों से संबंधित हैं और यह व्‍यापार उन्‍हें अपने घरों से ही अतिरिक्‍त और वैकल्पिक व्‍यवसाय करने का अवसर प्रदान करता है।

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पुर्तगाल के प्रधानमंत्री श्री अंतोनियो कॉस्ता और उनके दल पार्तिदो सोशलिस्ता को आम चुनाव में जीत की बधाई दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पुर्तगाल के प्रधानमंत्री श्री अंतोनियो कॉस्ता और उनके राजनीतिक दल पार्तिदो सोशलिस्ता को आम चुनाव में जीत की बधाई दी है। अपने प्रत्युत्तर में श्री अंतोनियो कॉस्ता ने श्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद किया है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बधाई देते हुए कहा, “मैं पुर्तगाल के संसदीय चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने के लिए पार्तिदो सोशलिस्ता और अपने मित्र श्री अंतोनियो कॉस्ता को बधाई देता हूं। मैं आशा करता हूं कि भारत-पुर्तगाल मित्रता को आगे बढ़ाने के लिए दोनों देश साथ काम करेंगे।”

Parabéns ao @psocialista e ao meu amigo @antoniocostapm pelo bom resultado obtido nas eleições legislativas em Portugal. Mantenho a expectativa de trabalharmos, em conjunto, em prol de aprofundar ainda mais os laços de amizade Índia-Portugal. pic.twitter.com/psirSPMi3h

— Narendra Modi (@narendramodi) October 7, 2019
Congratulations to @psocialista and my friend, @antoniocostapm for the good performance in the parliamentary elections in Portugal. Looking forward to continuing working together to further enhance India-Portugal friendship. pic.twitter.com/ELtP5ZayyX

— Narendra Modi (@narendramodi) October 7, 2019

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मंत्रिमंडल ने जम्मू-कश्मीर से 1947 में विस्थापित उन 5300 परिवारों को शामिल करने की मंजूरी दी, जिन्होंने शुरू में जम्मू-कश्मीर राज्य से बाहर जाने का विकल्प चुना था, लेकिन बाद में वे जम्मू-कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री के विकास पैकेज 2015 के अंतर्गत पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर और छम्ब के विस्थापित परिवारों के लिए मंत्रिमंडल द्वारा 30.11.2016 को मंजूर पुनर्वास पैकेज में वापस लौटकर जम्मू-कश्मीर राज्य में बस गए

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू-कश्मीर से 1947 में विस्थापित उन 5300 परिवारों को शामिल करने की मंजूरी दे दी है, जिन्होंने शुरू में जम्मू-कश्मीर राज्य से बाहर जाने का विकल्प चुना था, लेकिन बाद में वे जम्मू-कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री के विकास पैकेज 2015 के अंतर्गत पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर और छम्ब के विस्थापित परिवारों के लिए मंत्रिमंडल द्वारा 30.11.2016 को मंजूर पुनर्वास पैकेज में वापस लौटकर जम्मू-कश्मीर राज्य में बस गए।

लाभः

मंजूरी मिल जाने से ऐसे विस्थापित परिवार वर्तमान योजना के अंतर्गत 5.5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्राप्त करने के हकदार हो जाएंगे, और बदले में उन्हें लगातार कुछ आमदनी हो सकेगी, जिसका वर्तमान योजना में लक्ष्य रखा गया है।

यहां यह बता देना जरूरी है कि जम्मू-कश्मीर में 1947 के पाकिस्तानी आक्रमण के मद्देनजर, 31,619 परिवार जम्मू-कश्मीर के पाक-अधिकृत क्षेत्रों (पीओजेके) से पलायन करके जम्मू-कश्मीर राज्य में चले गए थे। इनमें से 26,319 परिवार जम्मू-कश्मीर राज्य में बस गए और 5300 परिवारों ने आरंभ में जम्मू-कश्मीर राज्य से बाहर निकलकर देश के अन्य भागों में जाने का विकल्प चुना था। भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 और 1971 के युद्धों के दौरान छम्ब नियाबत क्षेत्र से 10,065 और परिवार विस्थापित हो गए। इनमें से 1965 युद्ध के दौरान 3500 परिवार और 1971 के युद्ध के दौरान 6565 परिवार विस्थापित हुए।

मंत्रिमंडल द्वारा 30.11.2016 को मंजूर पैकेज के अंतर्गत 36,384 विस्थापित परिवारों को शामिल किया गया, जिनमें पाक-अधिकृत जम्मू-कश्मीर से 26,319 विस्थापित परिवार और छम्ब नियाबत इलाके से विस्थापित 10,065 परिवार जम्मू-कश्मीर में बस गए। पाक-अधिकृत जम्मू-कश्मीर के 5300 विस्थापित परिवार जिन्होंने आरंभ में जम्मू-कश्मीर राज्य से देश के अन्य भागों में जाने का विकल्प चुना था, उन्हें मंजूर पैकेज में शामिल नहीं किया गया। अब इन 5300 परिवारों में से वे विस्थापित परिवार जिन्होंने आरंभ में राज्य से बाहर जाने का विकल्प चुना था लेकिन बाद में वे जम्मू-कश्मीर लौट आए और वहां पर बस गए, उन्हें पैकेज में शामिल किया जा रहा है।

1947 में पाक-अधिकृत जम्मू-कश्मीर के 5300 विस्थापित परिवार में से उन विस्थापित परिवारों को शामिल करना, जो वर्तमान योजना में जम्मू-कश्मीर राज्य में लौटकर बस गए, जिन्होंने युद्ध के कारण परेशानी झेली, वह पर्याप्त मासिक आमदनी अर्जित कर सकेंगे और आर्थिक क्रियाकलापों का हिस्सा बन सकें

गे। इससे विस्थापित परिवारों की वित्तीय सहायता की जरूरत से प्रभावी तरीके से निपटने की सरकार की क्षमता बढ़ेगी। धनराशि की जरूरत को वर्तमान योजना के लिए पहले से ही मंजूर धनराशि से पूरा किया जाएगा।

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केंद्र ने कर्नाटक और बिहार को राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ) से 1813.75 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वित्तीय सहायता को स्वीकृत दी. सौजन्न से PIB

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने सभी बाढ़ प्रभावित राज्यों में जारी बचाव और राहत कार्यों की समीक्षा की है। बिहार और कर्नाटक राज्यों के राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) के खाते में निधि की स्थिति और बाढ़ की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, गृह मंत्री ने ‘खाते के आधार पर’ राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ) से बिहार राज्य के लिए 400 करोड़ रुपये और कर्नाटक के लिए 1200 करोड़ रुपये की अग्रिम राहत निधि को जारी करने की स्वीकृति दे दी है। उन्होंने बिहार के लिए वर्ष 2019-20 हेतु एसडीआरएफ में केन्द्र की अंशभागिता की दूसरी किस्त के रूप में 213.75 करोड़ रुपये जारी करने को भी मंजूरी दे दी है।

कर्नाटक और बिहार ने एसडीआरएफ खाते में धन की कमी की जानकारी देते हुए बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को राहत सहायता प्रदान करने में विलम्ब हो रहा है। उन्होंने एनडीआरएफ से अग्रिम अतिरिक्त वित्तीय सहायता जारी करने का अनुरोध किया। बिहार ने 2019-20 के लिए एसडीआरएफ में केन्द्र की अंशभागिता की दूसरी किस्त को जारी करने का भी अनुरोध किया है।

दक्षिण पश्चिम मानसून, 2019 के दौरान, 13 राज्य अप्रत्याशित बाढ़/ भूस्खलन से प्रभावित हुए हैं। 19 अगस्त, 2019 को आयोजित उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) की बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा लिए गए एक महत्वपूर्ण निर्णय के अनुपालन में, एनडीआरएफ से अतिरिक्त वित्तीय सहायता लेने के लिए संबंधित राज्यों से ज्ञापन प्राप्त होने से पूर्व, गृह मंत्रालय ने 13 राज्यों के लिए अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीमों (आईएमसीटी) का गठन कर दिया था। आईएमसीटी ने अब तक 12 राज्यों का दौरा किया है और राज्यों द्वारा प्रस्तुत अंतरिम ज्ञापन के आधार पर, बिहार और कर्नाटक के संबंध में आईएमसीटी ने अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है।

केंद्र सरकार बाढ़/भूस्खलन की स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए राज्य सरकारों को पूर्ण सहायता प्रदान करते हुए समय पर रसद और वित्तीय संसाधन प्रदान कर रही है। प्रदान किए जाने वाले संसाधनों में, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, भारतीय वायु सेना और तटरक्षक हेलीकॉप्टर, सेना के दस्ते, नौसेना और तटरक्षक कर्मियों के पर्याप्त दल एवं आवश्यक बचाव उपकरण शामिल हैं।

भारत सरकार, एसडीआरएफ और पूर्व-स्थापित कार्य प्रणाली के माध्यम से राज्य सरकारों के प्रयासों में अपनी तत्काल सहायता प्रदान करके राहत कार्यों में मदद करती है। प्रत्येक राज्य के लिए एक एसडीआरएफ का गठन किया गया है। केंद्र सरकार सामान्य श्रेणी के राज्यों के लिए 75 प्रतिशत और पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्यों के लिए 90 प्रतिशत प्रत्येक वर्ष एसडीआरएफ आवंटन का योगदान देती है। राहत व्यय का प्रथम भार एसडीआरएफ संभालता है और गंभीर प्राकृतिक आपदाओं के मामलों में, स्थापित कार्य प्रणालियों के अनुरूप इसे एनडीआरएफ से पूरक के रूप में लिया जाता है।

कर्टेन रेजर: भारत-मंगोलिया संयुक्त अभ्यास नोमाडिक एलीफैंट 2019.सौज्जन्न से PIB

भारत और मंगोलिया के बीच 14 दिन के संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास नोमाडिक एलीफैंट-14 का 14वां संस्करण 5 अक्टूबर 2019 से शुरू होगा। यह अभ्यास बाकलोह में 5 अक्टूबर से 18 अक्टूबर के बीच आयोजित किया जाएगा। मंगोलियाई सेना का प्रतिनिधित्व एलीट 084 एयर बोर्न स्पेशल टॉस्क बटालियन के अधिकारी एवं जवान करेंगे जबकि भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व राजपूताना राइफल्स की एक बटालियन की एक टुकड़ी करेगी।

नोमाडिक एलीफैंड-15 का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था के तहत उग्रवाद रोधी और आतंकवाद निरोधी अभियानों के लिए सैनिकों को प्रशिक्षित करना है। यह संयुक्त अभ्यास दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और सैन्य संबंधों को बढ़ाएगा। यह दोनों देशों की सेनाओं के लिए अपने अनुभवों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने तथा संयुक्त प्रशिक्षण का पारस्परिक रूप से लाभ उठाने का एक आदर्श मंच है।

संयुक्त प्रशिक्षण का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के आदेश के तहत सामूहिक आतंकवादी निरोधी अभियानों का संचालन करते हुए आतंकवाद-रोधी परिस्थितियों के लिए विभिन्न सुनियोजित अभ्यासों जैसे काफिला सुरक्षा ड्रिल, रूम इंटरवेंशन ड्रिल, घात लगाना/घात निरोधी ड्रिल को विकसित करना है। संयुक्त प्रशिक्षण में दोनों सेनाओं के सैनिकों को शामिल करते हुए एक सहयोगी सबयूनिट द्वारा संचालन करने पर जोर दिया जाएगा। यह प्रतिकूल परिचालन परिस्थितियों में दोनों सेनाओं के बीच परस्पर सक्रियता को बढ़ाता है। दोनों सेनाओं द्वारा बनाई गई प्रशिक्षण की योजना संयुक्त संचालन के लिए क्षमता निर्माण का एक लंबा रास्ता तय करेगी।

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अमेरिका की प्रमुख कंपनियों के ग्लोबल सीईओ और सीनियर एक्जीक्यूटिव के साथ प्रधानमंत्री की बैठक .सौज्जन्न से PIB

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न्यूयॉर्क में 20 क्षेत्रों से संबंद्ध उद्योगों के वैश्विक प्रमुखों के साथ एक विशेष गोलमेज चर्चा की अध्यक्षता की। इस चर्चा में शामिल होने वाली कंपनियों की कुल सामूहिक संपत्ति 16.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है। इसमें से भारत में इनकी कुल संपत्ति 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।

इस आयोजन में आईबीएम की अध्यक्ष एवं सीईओ सुश्री गिन्नी रोमेटी, वालमॉर्ट के अध्यक्ष एवं सीईओ डगलस मैकमिलन, कोका कोला के चेयरमैन एवं सीईओ श्री जेम्स क्विनसी, लॉकहीड मॉर्टिन की सीईओ सुश्री मॉर्लिन ह्यूसन, जेपी मोर्गन के चेयरमैन एवं सीईओ श्री जेमी डिमोन, अमेरिकन टॉवर कार्पोरेशन के सीईओ एवं भारत-अमेरिका सीईओ मंच के उपाध्यक्ष श्री जेम्स डी. टेसलेट और एप्पल, गूगल, वीसा, मास्टरकार्ड, 3एम, वारबर्ग पिनकस, एईसीओएम, रेथियोन, बैंक ऑफ अमेरिका, पेप्सी जैसी कंपनियों के सीनियर एक्जीक्यूटिव भी शामिल हुए।

डीपीआईआईटी और इनवेस्ट इंडिया द्वारा आयोजित इस विचार-विमर्श में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

प्रतिभागियों ने कारोबारी सुगमता और कई अन्य सुधारों की दिशा में भारत द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की, इनके कारण निवेशकों के अनुकूल माहौल बना है। व्यापार जगत के दिग्गजों ने कारोबारी सुगमता पर ध्यान देने और भारत को ज्यादा निवेशक-अनुकूल बनाने की खातिर मजबूत निर्णय लेने के लिए प्रधानमंत्री की सराहना की। उद्योग जगत के प्रमुखों ने इस बात का भी उल्लेख किया कि उनकी कंपनियां भारत की विकास गाथा के लिए प्रतिबद्ध हैं, और इसके लिए भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ाती रहेंगी।

इन सीईओ ने भारत में अपनी विशिष्ट योजनाओं की संक्षिप्त जानकारी भी दी और कौशल विकास, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, समावेशी विकास, हरित ऊर्जा और वित्तीय समावेश की दिशा भारत के प्रयासों में मदद देने के लिए अपनी सिफारिशें भी सामने रखीं।

सीईओ की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री ने निरंतर राजनीतिक स्थिरता, नीतियों के पूर्वानुमान और विकास एवं उन्नति परक नीतियों पर जोर दिया। उन्होंने पर्यटन, प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और अपशिष्ट प्रबंधन और किसानों एवं कृषि के लिए अधिक अवसर पैदा करने वाले एमएसएमई व्यवसाय को बढ़ाने की पहल के विकास पर भी जोर दिया। उन्होंने कंपनियों से न केवल भारत, बल्कि दुनिया के लिए समाधान खोजने को अन्य देशों के साथ साझेदारी में स्टार्टअप इंडिया नवाचार प्लेटफार्मों का लाभ उठाने का आग्रह किया। इसमें पोषण और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे चुनौतीपूर्ण मुद्दे शामिल हैं।

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जलवायु कार्ययोजना शिखर सम्मेलन में उद्योग को कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने के लिए नए नेतृत्व समूह की घोषणा भारत और स्वीडन इस समूह का नेतृत्व करेंगे : केंद्रीय पर्यावरण मंत्री. सौज्जन से PIB

संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्ययोजना शिखर सम्मेलन में 23 सितंबर को एक नए पहल की शुरूआत की गई। इसका लक्ष्य विश्व के सबसे अधिक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाले उद्योगों को कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था की ओर ले जाना है।

अर्जेंटीना, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, लक्जेमबर्ग, नीरदलैंड, दक्षिण कोरिया तथा यू.के. के साथ भारत और स्वीडन एवं डालमिया सीमेंट, डीएसएम, हीथ्रो एयरपोर्ट, एलकेएबी, महिन्द्रा ग्रुप, रॉयल स्कीफॉल ग्रुप, स्केनिया, स्पाइसजेट, साब, थाइसनक्रूप और वेटेनफॉल आदि कंपनियां इस समूह में शामिल है। इस समूह ने एक नए नेतृत्व समूह की घोषणा की। यह नेतृत्व समूह, ऊर्जा केंद्रित क्षेत्र तथा ऐसे क्षेत्र जिसमें कार्बन की मात्रा को कम करना कठिन है को कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने का प्रयास करेगा।

इस वैश्विक पहल को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम, एनर्जी ट्रांजिशन कमीशन, मिशन इनोवेशन, स्टॉकहोम एनवायरनमेंट इंस्टीट्यूट और यूरोपीयन क्लाइमेंट फाउंडेशन जैसे कई संगठनों ने इस महत्वाकांक्षी, सार्वजनिक-निजी प्रयास को समर्थन दिया है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि परिस्थिति और क्षमता के अनुरूप हममें से प्रत्येक को जलवायु की जिम्मेदारी निभानी है। मैं आशा करता हूँ कि उद्योग को कम कार्बन उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने के क्रम में प्रौद्योगिकी का प्रसार होगा और इस यात्रा में विकासशील देशों को सहयोग प्राप्त होगा।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बीते दो दिनों में कई महत्वपूर्ण निर्णय हुए हैं। भारी उद्योगों ने यह तय किया है कि वह बिना किसी बाहरी मदद के कम कार्बन उत्सर्जन के लिए प्रयास करेंगे।

सार्वजनिक-निजी सहयोग का स्वागत करते हुए विश्व आर्थिक मंच के संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. क्‍लॉस श्‍वाब ने कहा सरकार के साथ सहयोग तथा उद्योगों में उत्सर्जन में कमी लाने के प्रति निजी क्षेत्र में अत्यधिक उत्साह है।

इस्पात, सीमेंट एल्युमीनियम, उड्डयन और पोत परिवहन जैसे क्षेत्रों में उत्सर्जन की मात्रा अधिक होती है। इन क्षेत्रों के द्वारा 2050 तक 15.7 जीटी गैस उत्सर्जन किया जाएगा। देशों और उद्योग समूहों के बीच अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग से लागू करने लायक नीतियों के निर्माण, प्रोत्साहन तथा कम कार्बन की अवसंरचना में संयुक्त निवेश सुनिश्चित हो सकेगा।

जलवायु कार्ययोजना शिखर सम्मेलन के बारे में

संयुक्त राष्ट्र महासचिव श्री एंटोनियो गुतरेस ने न्यूयॉर्क में जलवायु कार्ययोजना शिखर सम्मेलन का आयोजन किया है। महासचिव ने सभी राजनेताओं, सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों तथा निजी क्षेत्र, सिविल सोसायटी, स्थानीय प्राधिकरण आदि के प्रतिनिधियों का आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें ठोस और वास्तविक योजनाएं प्रस्तुत करनी चाहिए ताकि पेरिस समझौते को लागू करने के लिए कार्ययोजना में तेजी लाई जा सके।

पेरिस योजना को लागू करने के लिए अलावा जलवायु कार्ययोजना शिखर सम्मेलन 09 स्वतंत्र कार्यों पर विशेष ध्यान देता है जिसका नेतृत्व 19 देश कर रहे हैं। इसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन समर्थन प्रदान कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि भारत और स्वीडन ने “इंडस्ट्री ट्रांजिशन” बैठक का नेतृत्व किया था। इसे विश्व आर्थिक मंच ने समर्थन प्रदान किया था।

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राष्ट्रपति ने छठे भारत जल सप्ताह – 2019 का उद्घाटन किया. सौज्जन से PIB

राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने आज (24 सितम्बर, 2019) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में छठे भारत जल सप्ताह का उद्घाटन किया। भारत जल सप्ताह 2019 का विषय ‘जल सहयोग – 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटना’ है और इसका आयोजन जलशक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग की ओर से किया गया है।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि यदि हमें जल से संबंधित चुनौतियों से कारगर ढंग से निपटना है तो विभिन्न हितधारकों के बीच में सहयोग महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जल से जुड़े मसले इतने बहुआयामी और जटिल हैं कि किसी एक सरकार या मात्र एक देश द्वारा इन्हें सुलझाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि भविष्य में सभी के लिए जल को चिर-स्थायी बनाने में मदद करने के लिए समस्त देशों और उनके जल समुदायों को एकजुट होना होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि हम लोग अक्सर ‘कार्बन फुटप्रिंट’ में कमी लाने की बात करते हैं। अब समय आ गया है कि हम अपने ‘वॉटर फुटप्रिंट’ में कमी लाने की भी बात करें। हमारे किसानों, प्रमुख उद्योगपतियों और सरकारी निकायों को विभिन्न फसलों और उद्योगों के ‘वॉटर फुटप्रिंट’ के बारे में सक्रिय रूप से विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसी कृषि और औद्योगिक पद्धतियों को बढ़ावा देने की जरूरत है, जिनमें पानी का उपयोग कम हो।

राष्ट्रपति ने कहा कि भूमि जल संसाधनों का प्रबंधन और मानचित्रण जल गवर्नेंस का एक महत्वपूर्ण पहलू है। उन्होंने कहा कि बोरिंग मशीनों के व्यापक उपयोग के कारण भूमिगत जल का अनियंत्रित और अतिशय दोहन हुआ है। उन्होंने कहा कि हमें अपने भूमिगत जल की अहमियत समझनी होगी और जिम्मेदार बनना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारा बहुमूल्य वर्षा जल बर्बाद न होने पाए। हमें अपने मौजूदा जलाशयों, बांधों और अन्य जल स्रोतों का उपयोग करते हुए तथा अपने घरों और आस-पड़ोस में जल संभरण उपाय अपना कर वर्षा जल को संचित करने और उसका भंडारण करने की जरूरत है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जल से संबंधित अपने विभिन्न मामलों का समाधान तलाशने का प्रयास करते समय हमें जल संरक्षण की अपनी प्राचीन पद्धतियों को नहीं भूलना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि परम्‍परागत ज्ञान के आधुनिक प्रौद्योगिकी और तकनीकों के साथ मिश्रण से हमें जल की दृष्टि से सुरक्षित देश बनने में मदद मिल सकती है। उन्‍होंने समस्‍त राज्‍यों, सार्वजनिक एवं निजी संगठनों और जनता के बीच सुदृढ़ सहयोग के साथ समस्‍त हितधारकों से जल से संबंधित लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने का संकल्‍प लेने का आह्वान किया। उन्‍होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों से स्‍वच्‍छ भारत अभियान में समाज के सभी वर्गों साथ ही संगठनों की भागीदारी देखने को मिल रही है, जिन्‍होंने इसकी जिम्‍मेदारी उठायी और इसे अपना निजी मिशन बना लिया। उन्‍होंने कहा कि जल शक्ति अभियान के प्रति हमें इसी तरह का समर्पण और प्रतिबद्धता दर्शाने की जरूरत है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि ‘स्‍वच्‍छ गंगा के लिए राष्‍ट्रीय मिशन’ के लिए अनेक परियोजनाओं की आवश्‍यकता है, जो गंगा का निरंतर और प्रदूषण मुक्‍त प्रवाह सुनिश्चित कर सकें। उन्होंने बल देकर कहा कि गंगा और अन्‍य नदियों को स्‍वच्‍छ बनाना अकेले सरकार का मिशन नहीं हो सकता, ये हमारा सामूहिक प्रयास और हमारा सामूहिक वादा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नागिरक होने के नाते हमें इस उद्देश्य के लिए हर हाल में योगदान देना चाहिए। उदाहरण के लिए, हमने हाल ही में गणेश चतुर्थी मनाई है और कुछ दिन बाद नवरात्र हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि नदियों में विसर्जित की जाने वाली देवी-देवताओं की प्रतिमाएं पर्यावरण के अनुकूल सामग्री से निर्मित हों। इससे नदियों को स्वच्छ रखने और सामुद्रिक जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित रखने में मदद मिलेगी।

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15वें वित्त आयोग के अध्‍यक्ष एवं सदस्‍यों ने सिक्किम सरकार के साथ बैठक की.सौजन्न से PIB

15वें वित्त आयोग के अध्‍यक्ष श्री एन. के. सिंह और इसके सदस्‍यों तथा वरिष्‍ठ अधिकारियों ने आज सिक्किम के मुख्‍यमंत्री श्री प्रेम सिंह तमांग और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों तथा राज्‍य सरकार के वरिष्‍ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।

वित्त आयोग ने यह पाया:

राज्‍य में पर्यटन, जैविक खेती और बागवानी की काफी अच्‍छी संभावनाएं हैं। राज्‍य सरकार और ज्‍यादा शीत भंडारण (कोल्‍ड स्‍टोरेज) सुविधाओं एवं मूल्‍य श्रृंखलाओं (वैल्‍यू चेन) की स्‍थापना कर सकती है तथा खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योगों को विकसित कर सकती है।
सिक्किम भारत का पहला ऐसा राज्‍य था जिसे खुले में शौच मुक्‍त (ओडीएफ) घोषित किया गया।
सर्वाधिक प्रति व्‍यक्ति आय के मामले में सिक्किम ही दूसरे नंबर पर है और इसके साथ ही यहां अपेक्षाकृत कम बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) आबादी है।
वर्ष 2017-18 में भारत के 1,14,958 रुपये के औसत की तुलना में सिक्किम की प्रति व्‍यक्ति आय 2,97,765 रुपये (गोवा के बाद दूसरा सर्वाधिक आंकड़ा) रही। अत: देश की प्रति व्‍यक्ति आय की तुलना में सिक्किम की प्रति व्‍यक्ति आय दोगुनी से भी अधिक है।
सिक्किम की बीपीएल आबादी केवल 8.19 प्रतिशत ही है, जबकि इस मामले में देश का औसत 21.9 प्रतिशत (तेंदुलकर पद्धति, 2011-12) है। वर्ष 2004-05 से लेकर वर्ष 2011-12 तक की अवधि के दौरान सिक्किम की बीपीएल आबादी में 23 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय कमी दर्ज की गई है।

जीएसडीपी में द्वितीयक क्षेत्र की ज्‍यादा हिस्‍सेदारी : पनबिजली यूनिटों में बिजली उत्‍पादन और फार्मास्‍यूटिकल उद्योगों के उत्‍पादन ने द्वितीयक क्षेत्र की सापेक्ष हिस्‍सेदारी बढ़ा दी, जो जीएसडीपी (सकल राज्‍य घरेलू उत्‍पाद) में लगभग 59 प्रतिशत का योगदान करता है। सिक्किम में पनबिजली क्षेत्र की व्यापक संभावनाएं हैं। राज्‍य को मौजूदा पनबिजली परियोजनाओं के कार्यान्‍वयन में तेजी लानी चाहिए, ताकि इसकी क्षमता का भरपूर उपयोग किया जा सके और इसके साथ ही राजस्‍व आय में वृद्धि संभव हो सके।

मजबूत ऋण एवं घाटा संकेतक:

राज्‍य का राजकोषीय घाटा वर्ष 2018-19 (संशोधित अनुमान) को छोड़ हाल के वर्षों में 3 प्रतिशत के स्‍तर से नीचे निरंतर टिका रहा है। राज्‍य में राजस्‍व की स्थिति ज्‍यादातर समय अधिशेष (सरप्‍लस) के रूप में रही है। ऋण-जीएसडीपी अनुपात भी वर्ष 2016-17 में 23.2 प्रतिशत के सामान्‍य स्‍तर पर बरकरार रहा है जो सभी पूर्वोत्तर राज्‍यों तथा पहाड़ी राज्यों में दर्ज 28.6 प्रतिशत के औसत अनुपात से कम है। हालांकि, हाल के वर्षों में इसमें मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। यही नहीं, सिक्किम के महालेखाकार ने राज्‍य सरकार की 3628 करोड़ रुपये की उल्‍लेखनीय उधारियों (बजट से इतर) के बारे में जान‍कारी दी है।
वर्ष 2010-11 में लागू किए गए राज्‍य एफआरबीएम अधिनियम में निर्दि‍ष्‍ट घाटा एवं ऋण संबंधी लक्ष्‍यों के साथ नियम आधारित राजकोषीय प्रबंधन का उल्‍लेख किया गया। राज्‍य सरकार 15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित राजस्‍व अधिशेष और ऋण स्‍टॉक से संबंधित शर्त को पूरा करते हुए वर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटे में 0.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने के लचीलेपन का समुचित उपयोग करने में सफल रही।

श्रम ब्‍यूरो के पांचवें रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, सिक्किम में 18.1 प्रतिशत की दूसरी सर्वाधिक बेरोजगारी दर (त्रिपुरा के बाद) है। प्रति व्‍यक्ति ज्‍यादा आय और जीएसडीपी में द्वितीयक क्षेत्र की अच्‍छी हिस्सेदारी दरअसल ऊंची बेरोजगारी दर का विरोधाभासी है, जो रोजगार विहीन विकास को दर्शाती है।

प्रति व्‍यक्ति आय के मामले में सिक्किम के देश भर में दूसरे स्‍थान पर रहने के बावजूद स्‍वयं के कर राजस्‍व के मामले में सिक्किम सभी राज्‍यों में तीसरे न्‍यूनतम पायदान पर है। स्‍वयं का कर राजस्‍व मामूली होने की वजह से सिक्किम केन्‍द्र सरकार की ओर से हस्‍तांतरित किए जाने वाले संसाधनों पर काफी हद तक निर्भर रहता है। सिक्किम को अपनी कुल राजस्‍व प्राप्तियों का 75 प्रतिशत केन्‍द्र सरकार से प्राप्‍त होता है।

स्‍वयं का गैर-कर राजस्‍व (एनटीआर) अब भी सिक्किम के लिए राजस्‍व का एक महत्‍वपूर्ण स्रोत है। स्‍वयं की राजस्‍व प्राप्तियों में इसका योगदान लगभग 40-50 प्रतिशत है। हालांकि, लॉटरी से प्रा‍प्‍त होने वाले राजस्‍व के घट जाने के कारण पिछले कुछ वर्षों के दौरान एनटीआर में उल्‍लेखनीय कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2011 से वर्ष 2018 के बीच इसकी वृद्धि दर (-) 10.9 प्रतिशत आंकी गई है। राज्‍य में पनबिजली और पर्यटन क्षेत्र के जरिए अपनी कमाई बढ़ाने की व्‍यापक संभावनाएं हैं जिनसे भरपूर लाभ उठाया जाना चाहिए।

वित्त आयोग ने यह पाया :

राज्‍य में 15 पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम) हैं जिनमें से 7 कार्यरत नहीं हैं। 31 अगस्‍त, 2019 तक 4 कार्यरत एसपीएसयू (राज्‍य सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम) के 11 खातों और 1 गैर-कार्यरत एसपीएसयू के एक खाते में बकाया दर्ज था। 9 एसपीएसयू का संचित घाटा वर्ष 2012-13 के 53.82 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2017-18 में 1,013.27 करोड़ रुपये के स्‍तर पर पहुंच गया। (एजी, सिक्किम)

सिक्किम में विद्युत आपूर्ति की जिम्‍मेदारी मुख्‍यत: ऊर्जा एवं विद्युत विभाग को सौंपी गई है। राज्‍य सरकार का विद्युत विभाग बिजली उत्‍पादन के साथ-साथ इसका पारेषण, वितरण एवं ट्रेडिंग भी करता है। राज्‍य सरकार ग्रामीण उपभोक्‍ताओं को बिजली पर भारी-भरकम सब्सिडी देती है। यही नहीं, 31 मार्च 2017 तक 15 प्रतिशत उपभोक्‍ताओं के यहां मीटर नहीं लगे हुए थे। सकल तकनीकी एवं वाणिज्यिक नुकसान लगभग 33 प्रतिशत आंका गया है और एसीएस-एआरआर अंतर 6.93 प्रतिशत दर्ज किया गया है जो अत्‍यंत अधिक है (विद्युत मंत्रालय)। राज्‍य सरकार को विद्युत विभाग के निगमीकरण एवं विभाजन के लिए आवश्‍यक कदम उठाने चाहिए और ठोस आर्थिक सिद्धांतों पर संचालन करने की अनुमति इसे दी जानी चाहिए।

सिक्किम पूरी तरह से पहाड़ी एवं भौगोलिक रूप से नवोदित स्‍थल है, इसलिए इसकी संरचना बेहद नाजुक है। यह भूकंपीय क्षेत्र IV में भी आता है, अत: यहां भूकंप आने का खतरा बना रहता है। मई से शुरू होकर अक्‍टूबर के मध्‍य तक जारी रहने वाले मानसून के दौरान यहां आकस्मिक बाढ़ और भूस्खलन की आशंका रहती है। जलवायु परिवर्तन सिक्किम के हिमालयी क्षेत्र में संभावित खतरनाक हिमनदी झीलों से खतरा पैदा कर रहा है।

सिक्किम में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के निर्माण एवं रख-रखाव की लागत काफी ज्‍यादा है। इसके अलावा, भारी वर्षा होने के कारण यहां कामकाज का सीजन भी अपेक्षाकृत छोटा रहता है।

राज्‍य में जनसंख्‍या घनत्‍व अत्‍यंत कम रहने के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में आबादी काफी दूर-दूर तक फैली हुई है जिस वजह से विभिन्‍न सेवाएं मुहैया कराने में काफी परेशानी होती है।

राज्य सरकार की प्रस्तुतियों से ये बातें उभर कर सामने आई हैं-

15वें वित्त आयोग ने 24.32% की प्रवृत्ति (ट्रेंड) वृद्धि दर के आधार पर राज्य के जीएसडीपी का अनुमान लगाया है जो वास्‍तविक की तुलना में बहुत ज्‍यादा थीं। इस वजह से अनुबंध अवधि के लिए ओटीआर की उच्‍च गणना की गई। इस वजह से सिक्किम 15वें वित्त आयोग से राजस्‍व घाटा अनुदान पाने का पात्र नहीं बन पाया।
सिक्किम जैविक खेती को बढ़ावा देता है और वहां रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। अत: यह उस व्‍यापक उर्वरक सब्सिडी मद में कुछ भी सब्सिडी प्राप्‍त करने का हकदार अब नहीं रह गया है जो अन्‍य राज्‍यों के किसानों को उपलब्‍ध है। जैविक खेती की उत्‍पादन लागत आम तौर पर ज्‍यादा होती है और किसानों की पैदावार तथा आमदनी में वृद्धि को बनाये रखने में समय लगता है।
राज्‍य ने सुझाव दिया है कि सिक्किम के किसानों की पर्यावरण अनुकूल पहलों को देखते हुए उन्‍हें मुआवजा दिया जा सकता है। राजस्‍व का त्‍याग किए जाने के कारण इसके तहत राज्‍य को उर्वरक सब्सिडी का पात्र माना जा सकता है।
सिक्किम सरकार ने सिफारिश की है कि करों के समग्र विभाज्‍य पूल में राज्‍यों की हिस्‍सेदारी बढ़ाकर 50 प्रतिशत की जानी चाहिए।
धन का अंतरण स्‍थानीय निकायों के सभी स्‍तरों के लिए किया जाना चाहिए।

आरएलबी के लिए धनराशि संबंधी आवश्‍यकता-
आरएलबी के दोनों स्‍तरों के लिए अनुमानित आवश्‍यकता पांच वर्षों के लिए 1,356.8211 करोड़ रुपये है।
मानव संसाधनों के साथ-साथ पंचायत घर के निर्माण के लिए 1100 करोड़ रुपये के अतिरिक्‍त एकबारगी अनुदान का अनुरोध किया गया।

यूएलबी के लिए धनराशि संबंधी आवश्‍यकता –
पांच वर्षों के लिए 134.1163 करोड़ रुपये की अनुमानित आवश्‍यकता।
बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, यूएलबी कार्यालय, टाउन हॉल और प्रशिक्षण संस्‍थानों के लिए 660 करोड़ रुपये के अतिरिक्‍त एकबारगी अनुदान का अनुरोध किया गया।

राज्‍य ने आपदा प्रबंधन के लिए भी अलग से अनुदान देने को कहा है

इसके अलावा, राज्‍य ने ‘पीस बोनस’ और सिक्किम के वन द्वारा अलग किए जाने वाले कार्बन की मात्रा के बराबर मूल्‍य देने का आह्वान किया है। राज्‍य ने पूंजीगत परि‍संपत्तियों के सृजन हेतु बड़ी परियोजनाओं के लिए राज्‍य विशिष्‍ट मांग भी की है। सिक्किम में संसाधनों में अंतर को पाटने के लिए 26843 करोड़ रुपये के राज्‍य विशिष्‍ट अनुदान की मांग की है।

कुल मिलाकर राज्‍य ने 15वें वित्त आयोग के समक्ष 71623.97 करोड़ रुपये की मांग रखी है।

उपर्युक्‍त बैठक के दौरान अध्‍यक्ष और सदस्‍यों द्वारा पूछे गए राज्‍य से जुड़े सभी विशिष्‍ट प्रश्‍नों पर विस्‍तार से विचार-विमर्श किया गया। सिक्किम को आश्‍वासन दिया गया कि वित्त आयोग द्वारा केन्‍द्र सरकार के समक्ष पेश की जाने वाली अपनी सिफारिशों में राज्‍य के सभी मुद्दों पर आयोग द्वारा समुचित ध्‍यान दिया जाएगा।

आयोग ने अपने दौरे के पहले दिन राज्‍य के सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ विस्‍तृत बैठक की। भारतीय जनता पार्टी, सिक्किम प्रदेश कांग्रेस समिति, सिक्किम लोकतांत्रिक मोर्चा और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा भी इन राजनीतिक दलों में शामिल थे। इन दलों द्वारा उठाये गए सभी मुद्दों को आयोग ने नोट किया, ताकि अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देते वक्‍त इन मुद्दों को सुलझाया जा सके।

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