विश्व रक्तदाता दिवस 2019: आज करें रक्तदान & बिहार सरकार का बड़ा फैसला, मां-बाप की सेवा नहीं करने वाले बच्चों को जाना पड़ेगा जेल

भारत विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने के बावजूद रक्तदान में काफी पीछे है. रक्त की कमी को खत्म करने के लिए विश्व भर में रक्तदान दिवस मनाया जा रहा है.

14 जून: विश्व रक्तदाता दिवस

पूरी दुनिया में 14 जून 2018 को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जा रहा है. इस दिवस का मुख्य उद्देश्य सुरक्षित रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना और रक्तदाताओं के सुरक्षित जीवन रक्षक रक्त के दान करने हेतु उन्हें प्रोत्साहित करते हुए आभार व्यक्त करना है.

भारत विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने के बावजूद रक्तदान में काफी पीछे है. रक्त की कमी को खत्म करने के लिए विश्व भर में रक्तदान दिवस मनाया जा रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य रक्तदान को प्रोत्साहित करना और उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना है.

हर तीसरे महीने रक्तदान करें:

रक्तदान करने से शरीर में कोई कमी नहीं आती और कोई भी स्वस्थ व्यक्ति हर तीसरे महीने रक्तदान कर सकता है.

भारत में रक्तदान की स्थिति:

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के तहत भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत है लेकिन उपलब्ध 75 लाख यूनिट ही हो पाता है. अर्थात क़रीब 25 लाख यूनिट रक्त के अभाव में हर साल सैंकड़ों मरीज़ दम तोड़ देते हैं.

उद्देश्य और थीम:

इस दिन रक्त जागरूकता अभियान चलाया जाता है और लोगों को मुफ्त रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया जाता है. विश्‍व रक्‍तदाता दिवस 2019 की थीम Safe Blood for All है, यानी सभी के लिए सुरक्षित रक्‍त की व्‍यवस्‍था करना है. इस थीम के द्वारा उन लोगों को प्रोत्‍साहित किया जाना है, जो अभी तक इस अभियान से नहीं जुड पाए हैं.

विश्व रक्तदान दिवस के बारे में:

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 1997 से हरेक साल 14 जून को ‘विश्व रक्तदान दिवस’ मनाया जाता है. साल 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान नीति की नींव डाली थी. इसका उद्देश्य यह था कि रक्त की जरूरत पड़ने पर उसके लिए पैसे देने की जरूरत नहीं पड़े.

अबतक विश्व के करीब 49 देशों ने ही इस पर अमल किया है. इसके तहत विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह लक्ष्य रखा था कि विश्व के प्रमुख 124 देश अपने यहाँ स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा दें.

14 जून ही रक्तदान दिवस क्यों?

विश्व रक्तदान दिवस, शरीर विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्राप्त कर चुके वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन की याद में पूरी विश्व में मनाया जाता है. महान वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन का जन्‍म 14 जून 1868 को हुआ था. उन्होंने मानव रक्‍त में उपस्थित एग्‍ल्‍युटिनि‍न की मौजूदगी के आधार पर रक्‍तकणों का ए, बी और ओ समूह की पहचान की थी. रक्त के इस वर्गीकरण ने चिकित्सा विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया. इसी खोज के लिए महान वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन को साल 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था. उनकी इसी खोज से आज करोड़ों से ज्यादा रक्तदान रोजाना होते हैं और लाखों की जिंदगियां बचाई जाती हैं.

विश्व रक्तदाता दिवस क्यों मनाया जाता है?

पुरे विश्व भर में कहीं भी जरुरतमंद व्यक्ति के लिये रक्त की जरुरत को पूरा करने हेतु विश्व रक्त दाता दिवस मनाया जाता है. ये अभियान प्रत्येक साल लाखों लोगों की जान बचाता है और रक्त प्राप्त करने वाले व्यक्ति के चेहरे पर एक प्राकृतिक मुस्कुराहट देता है.

रक्तदान को लेकर ग़लतफहमी:

रक्त दान से कितने व्यक्तियों के जीवन को भी बचाया जा सकता है. विश्व के इस सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में अभी भी बहुत से लोग यह समझते हैं कि रक्तदान से शरीर कमज़ोर हो जाता है. इतना ही नहीं यह ग़लतफहमी भी व्याप्त है कि नियमित रक्त देने से लोगों की रोगप्रतिकारक क्षमता कम होती है और उसे बीमारियां जल्दी जकड़ लेती हैं. यहाँ भ्रम इस तरह से फैला हुआ है कि लोग रक्तदान का नाम सुनकर ही कॉप उठते हैं.

बिहार सरकार का बड़ा फैसला, मां-बाप की सेवा नहीं करने वाले बच्चों को जाना पड़ेगा जेल

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बिहार सरकार ने हाल ही में एक बड़ा फैसला किया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुताबिक मां-बाप के साथ दुर्व्यवहार करने पर अब बच्चों को जेल जाना पड़ेगा.

यह फैसला नीतीश कुमार की अध्यक्षता में 11 जून 2019 को हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई है. इस फैसला में कहा गया है कि अगर बिहार में रहने वाले बच्चे अपने मां-बाप का अपमान करते हैं या उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं तो उन्हें जेल जाना पड़ेगा.

मुख्य बिंदु:

अगर किसी बच्चे के मां-बाप इसकी शिकायत करते हैं कि उनकी संतान सेवा नहीं करती तो ऐसे बच्चों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

राज्य सरकार के अनुसार, ऐसे मां-बाप जिनके बच्चे उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं उनको कानूनी संरक्षण प्रदान करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.

बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कुल 15 प्रस्तावों पर मुहर लगी है. बिहार सरकार ने कैबिनेट की बैठक में जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादी घटनाओं में शहीद हुए बिहार के जवानों के परिजनों को नौकरी देने का भी फैसला किया है.

नीतीश सरकार द्वारा शराबबंदी और दहेज को बंद करने जैसे फैसलों के बाद सामाजिक कुरीति दूर करने हेतु यह एक और बड़ा प्रयास किया गया है.

मां-बाप की सेवा करना अनिवार्य:

कैबिनेट की बैठक में बच्चों के द्वारा मां-बाप की सेवा करना अनिवार्य बना दिया गया है. सरकार के इस नियम का पालन ना करने और मां-बाप की सेवा ना करने वाली संतान को जेल जाना पड़ेगा.

बिहार सरकार द्वारा सर्वे:

बिहार सरकार ने पिछले दिनों एक सर्वे कराया था जिसमें इस बात का खुलासा हुआ कि राज्य में रहने वाले बुजुर्ग माता-पिता की हालत ठीक नहीं है. जिसके बाद यह फैसला किया गया है.

इस फैसले का बड़ा प्रभाव:

बिहार सरकार का यह फैसला भारत के बदलते सामाजिक स्वरूप को सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है. पिछले कुछ सालों में बुढ़ापे में मां बाप के साथ दुर्व्यवहार की घटनाओं में लगातार इजाफा हुआ है. नीतीश कुमार का यह फैसला उन बच्चों के दिमाग में कानून का डर पैदा करेगा. मां-बाप जब असहाय हो जाते हैं, जब उन्हें अपने बच्चों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है तब कई बच्चे अपने मां-बाप को ही बोझ समझने लगते हैं.