भारत ने स्वदेश में विकसित ‘एचएसटीडीवी’ का सफल परीक्षण किया, जाने विस्तार से

भारत ने स्वदेश में विकसित ‘एचएसटीडीवी’ का सफल परीक्षण किया, जाने विस्तार से

एचएसटीडीवी हाइपरसोनिक गति से उड़ान भरने वाले यान के लिए मानवरहित प्रदर्शक वाहन है. यह 20 सेकेंड में मैक-छह की रफ्तार और 32.5 किलोमीटर ऊंचाई तक जा सकता है.

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा तट से हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी) का सफल परीक्षण किया. डीआरडीओ ने यह परीक्षण बंगाल की खाड़ी में डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के प्रक्षेपण परिसर-चार से किया.

डीआरडीओ ने भविष्य के मिशनों में इस्तेमाल होने वाली महत्त्वपूर्ण तकनीक के परीक्षण हेतु टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल का परीक्षण किया. डीआरडीओ के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी और आईटीआर के निदेशक बी के दास सहित वरिष्ठ वैज्ञानिकों और रक्षा अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण किया गया.

एचएसटीडीवी हाइपरसोनिक गति से उड़ान भरने वाले यान के लिए मानवरहित प्रदर्शक वाहन है. यह 20 सेकेंड में मैक-छह की रफ्तार और 32.5 किलोमीटर ऊंचाई तक जा सकता है. भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिसके पास ऐसी प्रौद्योगिकी होगी. एचएसटीडीवी परियोजना पिछले कुछ साल से चल रही थी.

इस परियोजना के तहत हम स्क्रैमजेट इंजन से लैस हाइपरसोनिक यान को विकसित कर रहे हैं. यह वजन में हल्का होने के कारण अन्तरिक्ष खर्च में लगभग 90 प्रतिशत की कमी आएगी. इसरो ने स्क्रैमजेट इंजन को तैयार किया है. इसमें ईंधन के रूप में हाइड्रोजन गैस का इस्तेमाल किया जाता है. इस परीक्षण के लिए इसरो के उन्नत प्रौद्योगिकी यान (एटीवी) का इस्तेमाल किया गया.

चीन ने हाल ही में अपने पहले हाइपरसोनिक (ध्वनि से तेज रफ्तार वाले) विमान शिंगकॉन्ग-2 या स्टारी स्काय-2 का सफल परीक्षण किया है. यह विमान परमाणु हथियार ले जाने और दुनिया की किसी भी मिसाइल विरोधी रक्षा प्रणाली को भेदने में सक्षम है. हालांकि सेना में शामिल होने से पहले इसके कई परीक्षण किए जाएंगे. अमेरिका और रूस भी हाइपरसोनिक विमान का परीक्षण कर चुके हैं.