आतंकी हरकतों से बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान, वैश्विक स्तर पर घेरने में जुटा भारत

आतंकी हरकतों से बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान, वैश्विक स्तर पर घेरने में जुटा भारत

पाकिस्तान उन आतंकी संगठनों के खिलाफ कुछ नहीं कर रहा है जो भारत के लिए खतरा बने हुए हैं और जो कश्मीर में आतंकवाद भड़का रहे हैं।

शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना यह कहकर उसे कठघरे में ही खड़ा किया कि आतंकवाद को समर्थन और संरक्षण देने वाले राष्ट्रों को जिम्मेदार ठहराना जरूरी है। उन्होंने इसी मंच से आतंकवाद से मुक्त समाज के निर्माण के लिए सभी देशों से एकजुट होने की भी अपील की। पता नहीं उनकी इस अपील का कितना असर पड़ेगा, लेकिन यह स्पष्ट होना अच्छा है कि भारतीय नेतृत्व पाकिस्तान से संपर्क-संवाद कायम करने का इच्छुक नहीं है।

भारतीय प्रधानमंत्री ने अपनी यह अनिच्छा चीनी राष्ट्रपति के समक्ष भी व्यक्त की, जो यह चाह रहे थे कि दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू होनी चाहिए। हालांकि इस संगठन के घोषणा पत्र में सभी तरह के आतंकवाद और खासकर सीमापार आतंकवाद से भी लड़ने की जरूरत जताई गई, लेकिन यह कहना कठिन है कि चीनी नेतृत्व पाकिस्तान को इसके लिए राजी करना पसंद करेगा कि वह आतंकी संगठनों को पालने-पोसने से बाज आए। आज यदि पाकिस्तान को सही रास्ते पर लाने में कोई बड़ी बाधा है तो वह चीन का रवैया ही है।

यह अच्छा है कि चीन के इस रवैये के बावजूद भारत पाकिस्तान को अलग-थलग करने के अपने अभियान को सफलता से आगे बढ़ाने में सक्षम है। इस अभियान को एक उल्लेखनीय सफलता तब मिली थी जब पाकिस्तान में पल रहे आतंकी सरगना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पाबंदी लगी थी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब अपने शपथ ग्रहण समारोह में इमरान खान को निमंत्रित नहीं किया तब दुनिया को यही संदेश दिया कि भारत पाकिस्तान पर भरोसा करने को तैयार नहीं।

भले ही पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान एक अर्से से दोनों देशों के बीच शांति-सहयोग और बातचीत की महत्ता का बखान करने में लगे हुए हों, लेकिन हकीकत यही है कि पाकिस्तान उन आतंकी संगठनों के खिलाफ कुछ नहीं कर रहा है जो भारत के लिए खतरा बने हुए हैं और जो कश्मीर में आतंकवाद भड़का रहे हैं। बीते दिनों अनंतनाग में हुआ आतंकी हमला यही बता रहा है कि पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आने वाला।

पाकिस्तान इस मुगालते से भी बाहर आने के लिए तैयार नहीं कि कश्मीर में हस्तक्षेप करना उसका कथित नैतिक अधिकार है। वह जब तक इस मुगालते से बाहर नहीं निकलता तब तक उससे बातचीत करने का कोई मतलब नहीं। पाकिस्तान से बातचीत करने में यह खतरा भी है कि वह फिर से धोखा दे सकता है। वह बातचीत के बहाने धोखा देने की अपनी पुरानी फितरत से अभी भी बुरी तरह ग्रस्त है।

ऐसे में उसे बार-बार यह बताने की जरूरत है कि उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया है जिससे उस पर भरोसा किया जा सके। इमरान खान कहें कुछ भी, वह अपनी सेना की कठपुतली ही हैं। हाल के समय में पाकिस्तान ने दुनिया को यह दिखाने की कोशिश खूब की है कि वह आतंकी संगठनों के खिलाफ सख्ती दिखा रहा है, लेकिन एफएटीएफ की मानें तो वह खानापूरी ही कर रहा है। इन स्थितियों में भारत को यह सुनिश्चित करना ही चाहिए कि पाकिस्तान को एफएटीएफ से कोई राहत न मिलने पाए।