अर्थव्यवस्था में महिलाओं की सहभागिता के बिना सामाजिक गतिशीलता को बदल नहीं सकते: उपराष्ट्रपति

अर्थव्यवस्था में महिलाओं की सहभागिता के बिना सामाजिक गतिशीलता को बदल नहीं सकते: उपराष्ट्रपति

आर्थिक विषयों पर उन्हें शिक्षित बनाने के जरिये महिलाओं को सशक्त बनाये;

महिलाओं की वित्तीय साक्षरता देश के भाग्य में बदलाव ला सकती है;

वित्तीय साक्षरता के माध्यम से महिलाओं के सशक्तीकरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया

प्रविष्टि तिथि: 19 APR 2019 2:17PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने जोर देकर कहा कि  जब तक कि महिलाओं को हर क्षेत्र में समान हितधारकों के रूप में शामिल नहीं किया जाता राष्ट्र की प्रगति में तेजी नहीं आ सकती। उन्होंने राज्य एवं केंद्र की सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों और मुख्य रूप सिविल सोसायटी से वित्तीय प्रबंधन पर महिलाओं को शिक्षित करने की दिशा में सामूहिक रूप से काम करने का आग्रह किया।

आज हैदराबाद में वोडाफोन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से लर्निंग लिंक्स फाउंडेशन आयोजित वित्तीय साक्षरता के जरिये महिलाओं के सशक्तिकरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने वित्तीय साक्षरता के जरिये महिलाओं को सशक्त बनाने पर अधिक जोर देने की अपील की। उन्होंने कहा कि “महिलाओं को प्रगति में समान साझेदार बनाने का कार्य  अनिवार्य रूप से उन्हें स्वतंत्र बनाने तथा आर्थिक मसलों से निपटने में उन्हें सशक्त बनाने के द्वारा आरंभ किया जाना चाहिए।“

श्री नायडू ने कहा कि भारत जैसी सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था, जिसके बारे में विश्व मुद्रा कोष ने इस वित्त वर्ष के दौरान 7.3 प्रतिशत और 2020 तक 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है और जिसका अगले 5 वर्षों में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना तय है, को एक सक्षमकारी संरचना के निर्माण के द्वारा उस प्रक्रिया में अनिवार्य रूप से  महिलाओं को समान साझीदार बनाना चाहिए। उन्होंने कहा “हमें यह जरूर स्वीकार करना चाहिए कि अर्थव्यवस्था में महिलाओं की सहभागिता के बिना सामाजिक गतिशीलता को हम नहीं बदल सकते।

वित्तीय अधिकारों, जिम्मेदारियों एवं आय सृजन के अवसरों के बारे में महिलाओं की समझ को बेहतर बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह विशेष रूप से भारत जैसे देश के लिए महत्वपूर्ण है जहां एक तेज आर्थिक और सामाजिक रूपांतरण  आ रहा है। उन्होंने कहा कि वित्तीय सेवाओं के बारे में महिलाओं और लड़कियों को शिक्षित करना, उनमें आरंभ में ही वित्तीय निवेश के अनुशासन की भावना का संचार करना न केवल उन्हें बेहतर ढंग से घर चलाने में सक्षम बनायेगा बल्कि इससे हमारे देश के भाग्य में बदलाव लाने में भी मदद मिलेगी।

यह इंगित करते हुए कि लैंगिक समानता न केवल महिलाओं की बल्कि प्रत्येक नागरिक की चिंता होनी चाहिए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि वित्तीय साक्षरता के जरिये महिलाओं को सशक्त बनाना न केवल लैंगिक अंतर को पाटने में सहायक होगा बल्कि यह महिलाओं के लिए अधिक खुशहाल भविष्य भी सुनिश्चित करेगा। इसके साथ साथ आर्थिक सशक्तिकरण के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण और कौशल प्रदान करना भी समान रूप से महत्वपूर्ण है।

यह देखते हुए कि वित्तीय रूप से साक्षर महिलाएं निवेशों और बचतों के जरिये बेहतर वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती है, श्री नायडू ने उनके उत्पादों को बढ़ावा देने तथा बेचने में एवं उनकी आय का समुचित निवेश सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग में ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि वित्तीय समावेश महिलाओं द्वारा आर्थिक भागीदारी के सर्वाधिक प्रभावी माध्यमों से एक है तथा उन्होंने महिलाओं के बीच वित्तीय साक्षरता बढ़ाने के लिए प्रोग्राम एवं मोड्यूल सृजित करने के प्रयास करने की भी अपील की। उन्होंने भारत के 15 राज्यों में क्रियाशील एक वित्तीय साक्षरता पहल जादू गिनी का कम्पैन की भी सराहना की।

इस अवसर पर लर्निंग लिंक्स फाउंडेशन की चेयर पर्सन ड़ॉ. अंजली प्रकाश, आंध्र प्रदेश सरकार के नगरपालिका क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन मिशन के प्रबंध निदेशक श्री पी. चिन्ना थाटैया, वोडाफोन इंडिया फाउंडेशन के निदेशक श्री पी. बालाजी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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