उज्जवला से उज्जवल होते घर और पर्यावरण

 

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की शुरुआत दो वर्ष पहले की गई थीं। इस योजना के अंतर्गत पाँच करोड़ ग्रामीणों, अनुसूचितजाति / जनजाति, अंत्योदय अन्न योजना, वनवासी आदि को गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने का प्रावधान रखा गया है। इस योजना का विस्तार करके, 2020 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

अभी तक सरकार ने 4 करोड़ से ज्यादा गैस कनेक्शन का आवंटन कर दिया है। 2014 में जहाँ 56 प्रतिशत लोगों के पास गैस कनेक्शन था, वह बढ़कर अब 80 प्रतिशत तक हो गया है। लोगों ने सिफ कनेक्शन ही नही लिए हैं, अपितु साल में चार सिलेंडर की खपत बताती है कि वे इस पर पूर्ण आश्रित होते जा रहे हैं। इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लिमिटेड के डाटा से पता चलता है कि  2016 और 2017 में गैस कनेक्शन के लिए पंजीकृत हुए लोगों में से प्रत्येक उपभोक्ता प्रतिवर्ष औसतन 4.4 सिलेंडर का प्रयोग कर रहा है।

इन आंकड़ों और देश के कई ग्रामों का सर्वेक्षण करने के बाद, इस योजना से संबंधित कुछ तथ्य सामने आते हैं।

(1) गैस सिलेंडर के उपभोक्ताओं को इसकी कीमत से ज्यादा, इसके वजह से उनकी जिन्दगी में आए बदलाव अधिक महत्वपूर्ण लगते हैं। कई महिलाओं को लगता है कि इसके उपयोग से वे अतिरिक्त समय पा जाती हैं, और उसका उपयोग वे अतिरिक्त धन कमाने तथा बच्चों व वृद्धों की सेवा आदि में  कर पाती हैं।

(2) इस कार्यक्रम ने एक अन्य प्रकार के विचार ”एल पी जी पंचायत” को जन्म दिया है। इस पंचायत में पहले से एल पी जी का उपयोग कर रहे लोग, नए लोगों को स्वच्छ ईंधन के फायदों की जानकारी देते हैं।

एल पी जी को अपनाने में तेजी का कारण, इसकी आपूर्ति और सेवाओं में सुधार को भी माना जाना चाहिए। अप्रैल, 2014 से लेकर अब तक इसके वितरकों की संख्या बहुत बढ़ा दी गई है। ऋण पर लिए गए एल पी जी के भुगतान की मोहलत भी बढ़ा दी गई है। इससे भी उपभोक्ताओं को राहत पहुँची है, और उनकी संख्या बढ़ाने में भी मदद मिली है।

‘द हिन्दू’ में प्रकाशित निधि प्रभा तिवारी के लेख पर आधारित। 28 जून, 2018